विधाता छन्द
1222 1222, 1222 1222
विराजो शारदे माँ तुम,नया आसन बिछाते हैं
तुम्हारे ही कृपा से हम ,नया अब गीत गाते हैं।
सजा दो लेखनी मेरी,मिटा दो बीच की दूरी
तुम्हारी ही कृपा से हम,विधा नित सीख पाते हैं।
सजाते भाव के मोती,चढ़ाते शब्द की माला,
तुम्हारी ही कृपा से हम,अनोखे पद रचाते हैं ।
लिखें गाथा शहीदों की ,कहें सब सच जमाने का
तुम्हारी ही कृपा से हम, निडरता से बताते हैं ।
अंधेरी रात में तुम ही ,दिये की रोशनी बनती
तुम्हारी ही कृपा से हम,उजाला देख पाते हैं ।
©anita_sudhir
1222 1222, 1222 1222
विराजो शारदे माँ तुम,नया आसन बिछाते हैं
तुम्हारे ही कृपा से हम ,नया अब गीत गाते हैं।
सजा दो लेखनी मेरी,मिटा दो बीच की दूरी
तुम्हारी ही कृपा से हम,विधा नित सीख पाते हैं।
सजाते भाव के मोती,चढ़ाते शब्द की माला,
तुम्हारी ही कृपा से हम,अनोखे पद रचाते हैं ।
लिखें गाथा शहीदों की ,कहें सब सच जमाने का
तुम्हारी ही कृपा से हम, निडरता से बताते हैं ।
अंधेरी रात में तुम ही ,दिये की रोशनी बनती
तुम्हारी ही कृपा से हम,उजाला देख पाते हैं ।
©anita_sudhir
जय मां शारदे, बहुत सुंदर
ReplyDeleteजय माँ शारदे
Deleteसादर धन्यवाद
ब्लाॅ॑ग जगत में स्वागत है अनिता जी।
ReplyDeleteप्रथम मां शारदे की स्तुति के साथ बहुत सुंदर शुरुआत आप का फर्लांग सफर शान से आगे बढ़े ।
शुभकामनाएं।
आ0 आपका हार्दिक आभार
Deleteब्लाग सफर पढ़े कृपया।
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