भारत का वो स्थान बना दे या मौला।
वो फिर से पहचान बना दे या मौला ।।
वो फिर से पहचान बना दे या मौला ।।
तुम तक कैसे श्रद्धा के फूल चढाऊँ
दर तक इक सोपान बना दे या मौला ।
दर तक इक सोपान बना दे या मौला ।
हर भूखे को रोटी मिलती जाये अब
ऐसा तू हिंदुस्तान बना दे या मौला ।
ऐसा तू हिंदुस्तान बना दे या मौला ।
सपनों में वो अब खोये से रहते हैं
उस दर का दरबान बना दे या मौला।
उस दर का दरबान बना दे या मौला।
शब्दों से जज्बात पिरोया करते हैं
'अनिता' की पहचान बना दे या मौला ।
'अनिता' की पहचान बना दे या मौला ।
कहना-सुनना तो सब ही कर लेते हैं,
ReplyDeleteतू कर्मठ इंसान बना दे या मौला .
पूर्णता दे दी आपने रचना को आ0
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत शानदार अशआर
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