जीवन दर्शन
दोहावली
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थामे रहिये कष्ट में ,उम्मीदों की डोर ।
जीवन का तम दूर हो,खुशियों की हो भोर ।।
सब कुछ किस को है मिला,किस्मत का क्या दोष।
हरि इच्छा जो कुछ मिले, ....उसमें कर संतोष।।
गुंजन कर भँवरा चला , देखे पुष्प पराग।
बिन स्वार्थ के कब करे,कौन यहाँ अनुराग ।।
सेज कभी अर्थी सजे,कभी प्रभू का द्वार ।
लघु जीवन है पुष्प का ,सुरभित सब संसार।।
बूँद बूँद से घट भरे ,समझे इसके बोल ।
संचय कर सत्कर्म का,जीवन है अनमोल।।
बहुत सुंदर दोहावली
ReplyDeleteसुन्दर रचना
Deleteबेहतरीन
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 21 सितंबर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आ0 आप का हार्दिक आभार
Deleteये रचना कैसे देखूँ
यहां ऊपर लिखे "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में "को टच करें आप मुखरित मौन में पहुंच जायेंगी वहां आप अपनी रचना और आज की चयनित सभी रचना देख सकेंगे और कमेंट भी कर सकते हैं ।
Deleteसस्नेह।
सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन सखी आपका लेखन बहुत उत्कृष्ट है।
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