मंथन
मुक्तक
मंथन का ये विष मुझे अब पीना होगा
बिन अमरत्व की चाह अब जीना होगा,
तुम गलत कभी हो सकते हो,भला
मुझे ही अपने होठों को अब सीना होगा ।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं गीत कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ। आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।। ग्वाल बाल के अंतस में दो,द...
सादर आभार आ0
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