बेटी
दोहावली
***
बेटी बगिया की कली,पल पल यों मुस्काय ।
बहती मुग्ध बयार सी ,हिय हर्षित हो जाय ।।
पापा की नन्ही परी ,घर आँगन की शान,
बेटी की जिद पर करे ,सौ जीवन कुर्बान।
पायल की झंकार तुम ,करती दिल पर राज ,
लाडो तुमसे ही बजें ,....मेरे मन के साज ।
बेटी लाडों से पली ,घर आँगन की शान ।
बेटी को शिक्षित करें ,दो कुल का अभिमान ।।
बड़ा अखरता है हमें,अब बढ़ता व्यभिचार ।
नहीं सुरक्षित बेटियां ,यह कैसा संसार ।।
भेद भाव ये किसलिए, बेटी समझे भार,
मात पिता के प्रेम पर ,दोनों का अधिकार।
कुरीतियों पर वार कर ,रचती सभ्य समाज ।
अग्रणी हर क्षेत्र में , बेटी पर है नाज ।
भोले मुखड़े पर सदा ,सजी रहे मुस्कान,
जीवन खुशियों से सजे ,तू मेरा अभिमान ।
व्याकुल हूँ ये सोच के ,बेटी नाजुक काँच
हाथ जोड़ि विनती !प्रभू,आय न इस पर आँच।
अनिता सुधीर
दोहावली
***
बेटी बगिया की कली,पल पल यों मुस्काय ।
बहती मुग्ध बयार सी ,हिय हर्षित हो जाय ।।
पापा की नन्ही परी ,घर आँगन की शान,
बेटी की जिद पर करे ,सौ जीवन कुर्बान।
पायल की झंकार तुम ,करती दिल पर राज ,
लाडो तुमसे ही बजें ,....मेरे मन के साज ।
बेटी लाडों से पली ,घर आँगन की शान ।
बेटी को शिक्षित करें ,दो कुल का अभिमान ।।
बड़ा अखरता है हमें,अब बढ़ता व्यभिचार ।
नहीं सुरक्षित बेटियां ,यह कैसा संसार ।।
भेद भाव ये किसलिए, बेटी समझे भार,
मात पिता के प्रेम पर ,दोनों का अधिकार।
कुरीतियों पर वार कर ,रचती सभ्य समाज ।
अग्रणी हर क्षेत्र में , बेटी पर है नाज ।
भोले मुखड़े पर सदा ,सजी रहे मुस्कान,
जीवन खुशियों से सजे ,तू मेरा अभिमान ।
व्याकुल हूँ ये सोच के ,बेटी नाजुक काँच
हाथ जोड़ि विनती !प्रभू,आय न इस पर आँच।
अनिता सुधीर
बेहद प्यारी सी रचना, सादर..
ReplyDeleteआपकी सराहना के लिए सादर आभार आ0
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