Thursday, September 19, 2019



रस
रस के विभिन्न आयाम
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ये भावों के मोती सजते ,शब्द विषय रस घोल ।
रस के कितने ही रूपों से  ,मन में उठे हिलोल।।

माता से अमृत रस पाते, करे दुग्ध का पान।
बूंदे  निचोड़ कर छाती की ,देती जीवनदान।।

ईश्वर का वंदन हम करते, भक्ति भाव से  पूर।
मात पिता की आशीषों में ,जीवन रस का नूर।।

गुंजन करते पीते भौरें ,  फूलों का मकरंद ।
नव कोपल से कलियां खिलती,रचें सृष्टि का छन्द।।

काव्य रसों से सजी लेखनी ,रचते ग्रंथ सुजान ।
लिखे वीर रस  की गाथायें,करके काज महान ।।

हास्य रस में सृजन अनोखा  पेट गया था फूल।
रौद्र रूप में पति को देखा ,मस्ती जाती भूल ।।

कोमल उर के भावों से है सजता रस श्रृंगार।
विरह अग्नि के रस में लिखता,प्रणय भाव का सार।

भावों का रस जो वाणी में, होता है अनमोल।
कभी घाव बन कर टीसें क्यों,तोल मोल के बोल।।

बंजर मन की धरती पर रस जीवन का आधार।
कहता कोई हौले से जब तुमसे ही संसार।।

अनिता सुधीर

2 comments:

  1. बहुत सुंदर सृजन सखी आप बहुत अच्छे दोहे लिखते हो ।
    साधुवाद।

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    1. हार्दिक आभार सखी
      स्नेह बनाये रखे आपके मार्गदर्शन से बहुत सीखा है और विस्तार मिला है मुझे

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