आज का यथार्थ
लेडीज़ एंड जेंटलमैन
आज हम सब यहाँ हिंदी डे मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं ।
एज यू नो हिंदी लैंग्वेज हमारी मदर टंग है ।एवरी ईयर ये 14th सेप्टेंबर को आता है । हम लोग बड़े जोर शोर से इसे मनाते हैं ।हम सबको आफिस में हिंदी में ही काम करना चाहिये । जितनी भी फ़ाइल हो उसमें सिस्टम से नीट एंड क्लीन काम हो ।
हमें अपने वर्क प्लेस पर और अधिक अटेंशन देने की जरूरत है ।
हिंदी के प्रौग्रेस और प्रोमोशन के लिये पोएम कंपीटिशन भी जरूर करवाना चाहिए ।
यंग जनरेशन से स्पेशली अपील करता हूँ कि वो हिंदी को एक्सेप्ट करें ।
थैंक्यू
अनिता सुधीर
लेडीज़ एंड जेंटलमैन
आज हम सब यहाँ हिंदी डे मनाने के लिए इकठ्ठा हुए हैं ।
एज यू नो हिंदी लैंग्वेज हमारी मदर टंग है ।एवरी ईयर ये 14th सेप्टेंबर को आता है । हम लोग बड़े जोर शोर से इसे मनाते हैं ।हम सबको आफिस में हिंदी में ही काम करना चाहिये । जितनी भी फ़ाइल हो उसमें सिस्टम से नीट एंड क्लीन काम हो ।
हमें अपने वर्क प्लेस पर और अधिक अटेंशन देने की जरूरत है ।
हिंदी के प्रौग्रेस और प्रोमोशन के लिये पोएम कंपीटिशन भी जरूर करवाना चाहिए ।
यंग जनरेशन से स्पेशली अपील करता हूँ कि वो हिंदी को एक्सेप्ट करें ।
थैंक्यू
अनिता सुधीर
बेहतरीन व्यंग्य सखी
ReplyDeleteआत्मिक आभार सखी
Deleteबेहतरीन..
ReplyDeleteआज की मिली-जुली हिन्दी
फालो का आप्शन लगाईए..
सादर..
आ0 आप का हार्दिक धन्यवाद
Deleteअभी ब्लॉग बनाया है ,कृपया बताएं ,फॉलो का ऑप्शन कैसे लगाएं
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में " सोमवार 16 सितम्बर 2019 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआ0 आपका हार्दिक आभार
Deleteअभी प्रयत्न कर रहे ,कैसे इस समूह से जुड़ें
शानदार सखी ।
ReplyDeleteतीखा व्यंग ही नहीं आज का यथार्थ है बहुत सटीक ।
ब्लाग जगत पर आपकी पहली रचना सांझा हुई है बहुत बहुत बधाई । उत्तरोत्तर शिखर छू थे रहें ।
शुभकामनाएं।
सस्नेह।
आ0 आपका मार्गदर्शन और सुझाव के हम ह्रदय तल से आभारी है
ReplyDeleteआत्मिक धन्यवाद सखी
वाह बेहतरीन व्यंग्य
ReplyDeleteजी सादर आभार
Deleteहिन्दी दिवस के मंच पर मुख्य-अतिथी का फ़ोन आने पर उनके मुँह से भी "सॉरी" निकलने ओअर अचरज होता है ... वैसे भी उर्दू भी हमारे तुगलकी और चंगेज़ी लोग लेकर आये थे, जब वह स्वीकार्य है तो ये अंग्रेंजी क्यों नहीं भला !? ...
ReplyDeleteआ0 आपका आभार ,स्वीकार तो हम लोगों ने सब किया है ,बस वो अतिथि बन के रहें,
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