Friday, September 13, 2019



 गीत
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"हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।

मीरा की भक्ति लिखी इसमें ,लिखा प्रेम रसखान,
कबिरा के दोहों से सजती ,भाषा मातृ महान ।
प्रेमचंद जयशंकर करते ,हिंदी का गुणगान,
महादेवी दिनकर की कृतियां,मनवा करें हिलोल।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....

देवनागरी भाषा अपनी,रचते छन्द सुजान ,
चुन चुन कर ये भाव सजाती ,हिन्दी है अभिमान।
विदेशी का सम्मान करना ,सँस्कृति की पहचान,
नहीं बदल पायेगा कोई  ,भाषा का  भूगोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....

हिन्दी का वन्दन अभिनन्दन, हिन्दी हो अभियान,
एक दिवस में क्यों बाँधें हम ,हिन्दी से हिन्दोस्तान।
जीवन में रची बसी रहती ,हिंदी है पहचान ,
 मधुरम मीठी भाषा वाणी,रस देती है घोल ।
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।।
हिन्दी है अस्तित्व हमारा" .....

हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,
माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल ।

अनिता सुधीर



4 comments:

  1. हिन्दी है अस्तित्व हमारा" ,गहन भाव ये बोल,
    माथे पर की बिंदी जैसी, शुचिता ले अनमोल । सुंदर और सार्थक प्रस्तुति

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  2. आ0 आपकी सराहना के लिए हार्दिक आभार।

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  3. हिन्दी है अभिमान। हिन्दी हो अभियान।। वाह... बहुत खूब

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  4. सुंदर भावों वाला उत्कृष्ट सृजन।

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