Wednesday, December 4, 2019


गजल


आप की नजरें इनायत हो गयी
आप से मुझको मुहब्बत हो गयी।

इश्क़ का मुझको नशा ऐसा चढ़ा
अब जमाने से अदावत हो गयी ।

तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला
यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।

ये  नजर करने लगी  शैतानियां
होश खो बैठे  कयामत हो गयी।

जिंदगी सँग आप के गुजरा करे
सात जन्मों की हकीकत हो गयी।














3 comments:

  1. बहुत उम्दा ग़ज़ल ।

    ये नजर करने लगी शैतानियां
    होश खो बैठे कयामत हो गयी।
    वाह।

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  2. बढ़िया सृजन 👏 👏

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