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प्रबोधिनी एकादशी
प्रबोधिनी एकादशी *प्रबोधिनी एकादशी,आए कार्तिक मास।* *कार्य मांगलिक हो रहे,छाए मन उल्लास।।* शुक्ल पक्ष एकादश जानें।कार्तिक शुभ फल...
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माँ का आत्ममंथन मंथन चिंतन माता करती, होम किया जीवन जिसने खाद लाड़ की अधिक पड़ी क्या या आँखों पर थी पट्टी पल निद्रा अभिशाप बनी है सोच जलाती उर...
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सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास। देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।। अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर। पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।। दू...
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मुक्तक ग़मों को उठा कर चला कारवां है। बनी जिंदगी फिर धुआं ही धुआं है।। जहां में मुसाफ़िर रहे चार दिन के दिया क्यों बशर ने सदा इम्तिहां है।। अन...
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