कुंडलिया
अलाव
रातें ठंडी हो रहीं ,जलने लगे अलाव ।
रूप निराले शीत के,अलग अलग हैं भाव।।
अलग अलग हैं भाव ,कहीं मौसम की मस्ती,
रहता कहीं अभाव,सड़क पर रातें कटती।
करती क्या सरकार,करे क्या खाली बातें,
हम सब करें प्रयास ,सुखद हो सबकी रातें।।
माता कालरात्रि *** कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए। काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।। रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का। दान...
बहुत उम्दा
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी सादर धन्यवाद आ0
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