Friday, December 6, 2019

परिणय

मैं तुमसे प्रेम करती हूँ
तुममें अपना प्रतिबिम्ब
देखने की कोशिश
करती हूँ ।
परिणय के बंधन में बंधे
उन वचनों को ढूँढती हूँ ।
तुममें अपना बिम्ब
तलाशते संग संग
इतनी दूर चले आये ।
कभी तुममें अपना
प्रतिबिम्ब मिला
कभी वक़्त के आईने में
कितने ही प्रतिबिम्ब
बनते   बिगड़ते
गडमड नजर आए ।
कुछ संजोए है
कुछ समेटने की कोशिश
मे बिखरते नजर आए है।
वक़्त की आंधियों मे
कुछ बिम्ब धुंधले
नजर आते है,पर
मैं तुमसे प्रेम करती हूँ
उन वचनों में  बंधी
मैं अपना प्रतिबिम्ब
तुममें ही  खोजती  हूँ।

अनिता सुधीर

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