Tuesday, November 5, 2019

**गीत**

तुम्हें भाव अपने दिखाना न आया,
कभी प्यार के गीत गाना न आया।

तुम्हें एक पाती कभी जो लिखी थी,
मुलाकात की बात उसमें कही थी,
कि दस्तूर मुझको निभाना न आया
तुम्हीं से कहूँ क्या बताना न आया ।
कभी प्यार के गीत ...

छिपाते रहे राज हम आपसे जो,
शरारत निगाहें कि करने लगी थीं
नजर से हमें क्यों छुपाना न आया।
कभी पास अपने बुलाना न आया
कभी प्यार के गीत ...

नजर जो उठी आपकी इस तरह से ।
जमाने की' बातें सताने  लगी  थीं 
 बसायें जहां हम धवल चाँदनी में ,
सपन क्यों हमें ये सजाना न आया ।।
कभी प्यार के गीत ...

कहानी हमारी अधूरी रही  थी,
तड़प आज भी वो सताती रही है,
उलझती रही डोर मन की सदा जो ,
अहम को हमें क्यों मिटाना न आया ।
कभी प्यार के गीत ...
©anita_sudhir

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