हाइकु
पथिक
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पथिक मन
कल्पनाओं का रथ
नव सृजन ।
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निशा डगर
चाँद तारे पथिक
भोर पड़ाव।
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तन पथिक
जीवन अग्नि पथ
मृत्यु मंजिल ।
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सच्चाई पथ
बाधाएं झंझावात
बढ़ो पथिक ।
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सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास। देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।। अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर। पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।। दू...
वाह! बढ़िया हाईकू है।
ReplyDeleteJee shukriya
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