पंक मध्य अब कमल नहिं,साफ हुआ अब हाथ
मुफ्त नीर विद्युत चला ,लेकर सबको साथ ।
मुफ्त नीर विद्युत चला ,लेकर सबको साथ ।
सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास। देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।। अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर। पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।। दू...
सबको मुफ़्त का माल चाहिए बस....
ReplyDeleteजी सत्य कथन
Deleteजिसे ये मुफ्त का देकर अहसान जताते हैं ,वो तो एक नागरिक के अधिकार हैं