चित्र गूगल से साभार
दो0
करें सूर्य आराधना, आया छठ का पर्व।
समरसता के भाव में, करे विरासत गर्व।।
चौपाई
कार्तिक मास सदा उर भाए।
त्योहारों में मन हर्षाए।।
शुक्ल पक्ष की षष्ठी आई।
महापर्व की खुशियाँ छाई।।
सूर्य उपासन आराधन का।
पर्व रहा संस्कृति गायन का।।
छिति जल पावक गगन समीरा।
पंच तत्व को पूज अधीरा।।
जुड़े धरा से सबको रहना।
यही पर्व छठ का है कहना।।
सूप लिए जब चले सुहागन।
प्रकृति समूची लगे लुभावन।।
ईखों से जब छत्र सजे हैं।
अंतर्मन के दीप जले हैं।।
सूरज डूबा जब जाएगा।
नवल भोर ले फिर आएगा।।
अर्थ निकलता त्योहारों से।
जुड़े रहे सब परिवारों से।।
दो0
परंपरा की नींव में,जीवन का है सार।
गूढ़ अर्थ समझे सभी,मना रहे त्योहार।।
अनिता सुधीर आख्या
हमारी परंपराएं हमारे त्यौहार सचमुच अद्भुत है और हर्ष की बात है कि आज ये देश विदेश सब जगह मनाए जाते है।
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteसटीक एवं सुंदर सृजन 👏👏👏💐💐💐
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सरोज जी
Deleteअद्भुत अतुल्य छंद बद्ध सृजन 💐💐🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीप्ति जी
DeleteBahut sunder
ReplyDeleteजी धन्यवाद
DeleteSo beautifully written!our festivals are our lifeline!
ReplyDeleteसत्य कहा उषा
Deleteआभ्गर
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 11 नवम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आ0
Deleteजय छठी मइया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन। हार्दिक बधाई।
छठ पर्व की सुंदर छटा बिखेरती उत्कृष्ट रचना । बहुत बहुत बधाई 💐💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteछठ पूजा की महिमा को बखान करता सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सामयिक रचना
ReplyDeleteजी सादर आभार
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(१२-११-२०२१) को
'झुकती पृथ्वी'(चर्चा अंक-४२४६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी हार्दिक आभार
Deleteअत्यंत सुंदर चौपाई एवं दोहे🙏🙏👏👏अद्भुत
ReplyDeleteधन्यवाद गुंजित
Deleteहमारे यहां छठ उत्सव तो नही मनाया जाता लेकिन रचना पढ़कर उत्सव के अहसास से मन जरूर प्रफुल्लित हो गया 🙏
ReplyDeleteआ0 रचना सार्थक हो गयी
Deleteसुन्दर दोहे और चौपाइयों में छठ पर्व की महिमा
ReplyDeleteवाह!!!
लाजवाब सृजन।
बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार
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