Tuesday, November 16, 2021

प्रेम


*गेरुए सी छाप तेरी*



मखमली से भाव रखते
गेरुए सी छाप तेरी

साथ चंदन सा महकता
प्रेम अंगूरी हुआ है
धड़कनों की रागिनी में
रूप सिंदूरी हुआ है
सोचता मन गाँव प्यारा
ये डगर रंगीन मेरी ।।

देह के अनुबंध झूठे
रोम में संगीत बहता
बाँसुरी की नाद बनकर
दिव्यता को पूर्ण करता
जो मिटा अस्तित्व तन का
अनवरत अब काल फेरी।।

जब अलौकिक सी कथा को
मौन की भाषा सुनाती
उर पटल नित झूमता सा
प्रीत नूतन गीत गाती
स्वप्न को बुनते रहे हम
कष्ट की फिर दूर ढेरी।।

स्वरचित
अनिता सुधीर

20 comments:

  1. बहुत सुंदर👏👏

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  2. बहुत सुंदर भावपूर्ण प्रेम गीत 🙏🙏🙏💐💐💐❤❤❤❤

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    1. सरोज जी हार्दिक आभार

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  3. अति सुंदर एवं मनमोहक सृजन 💐💐🙏🏼

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  4. हार्दिक आभार दीप्ति जी

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  5. अद्भुत हैं तुम्हारी लेखनी से निकला एक एक शब्द 👌

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  6. सुंदर छायाचित्र जैसी रचना ।

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  7. बहुत ही सुंदर

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  8. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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  9. वाह!!!
    बहुत ही सुन्दर लाजवाब नवगीत।

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