Wednesday, November 10, 2021

तुम बिन

गीत

राह देखती ये अँखियाँ ओ साथी मेरे मन के।

तुम बिन सूनी हैं रातें,नहीं कटे दिन विरहन के।।


कब आओगे खत लिख दो 

तुम बिन अब रहा न जाए 

यह श्रृंगार अधूरा है

जो तेरी याद सताए

घर चौबारा रिक्त पड़ा

तुम शोभा हो आँगन के

राह देखती ये अँखियाँ,ओ साथी मेरे मन के।

तुम बिन सूनी हैं रातें,नहीं कटे दिन विरहन के।


साथ तुम्हारा शीतल है

इस जीवन के मरुधर में

जल की बूँद सरिस हो तुम

झंझावत के अम्बर में

सुधा कलश बिखरा देना

धड़कन हो तुम जीवन के

राह देखती ये अँखियाँ,ओ साथी मेरे मन के।

तुम बिन सूनी हैं रातें,नहीं कटे दिन विरहन के।


तुम बिन सूनी डगर लगे

जैसे तारे बिना गगन 

बिना नीर के कमल कहाँ

ऐसे रहती ध्यान मगन

आ जाओ प्रियतम मेरे,

सुख देना अब बंधन के।

राह देखती ये अँखियाँ,ओ साथी मेरे मन के।

तुम बिन सूनी हैं रातें,नहीं कटे दिन विरहन के।।


अनिता सुधीर




12 comments:

  1. अति सुंदर एवं मनोहारी सृजन 💐💐🙏🏼

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  2. अत्यंत मधुर मनभावन लयबद्ध गीत🙏🙏🙏उत्तम👏🙏❤️

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  3. सुख देना अब बंधन के! बहुत ख़ूब! अति-मनभावन गीत, निस्संदेह।

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  4. बहुत सुन्दर सृजन

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