छन्द से श्रृंगार करती,नित्य पावन गीतिका।
बैठती उपवन सजा कर, हिन्द आँगन गीतिका।।
शिल्प का जामा पहन कर, लेखनी में कूकती,
झूम कर साहित्य कहता,है लुभावन गीतिका।।
भाव की जब गूढ़ता को,पंक्तियां दो ही कहें
कुंभ में वारीश भरती,दिव्य चिंतन गीतिका।।
लालिमा नीरव लिए जब,शब्द इठलाते चले,
काव्य की फिर रागिनी में, बिम्ब मंथन गीतिका।।
गा रहीं चारों दिशाएं,हो अमर चिरकाल तक,
हैं प्रफुल्लित फिर जनक भी, देख गुंजन गीतिका।।
बहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद अमिता
Deleteअति सुंदर एवं सरस सृजन 💐💐🙏🏼
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीप्ति जी
Deleteबहुत सुंदर गीतिका🙏🙏वाह
ReplyDeleteअद्भुत, भावपूर्ण गीतिका मैम... वाह्हहहहहहहहहहहहहह
ReplyDeleteधन्यवाद प्रशांत जी
Deleteबहुत-बहुत सुंदर गीतिका मैम😇😇🙏❤️
ReplyDeleteधन्यवाद सौम्या जी
Deleteवाहहह, अतीव सुंदर गीतिका आदरणीया।।हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसादर अभिवादन आ0
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteगीतिका विधा में गीतिका की महत्ता और सरसता का सुंदर व्याख्यान।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
धन्यवाद सखि
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteवाहहहह बेहद खूबसूरत 👏
ReplyDeleteजी सादर आभार
Deleteवाह! अनुपम शब्दावली में सुंदर गीतिका
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२५-११-२०२१) को
'ज़िंदगी का सफ़र'(चर्चा अंक-४२५९ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार आ0
Deleteगीतिका शब्द से मैं प्रथम बार ही परिचित हुआ हूँ। ग़ज़ल के प्रारूप में शुद्ध संस्कृतनिष्ठ देवनागरी भाषा में अभिव्यक्त ऐसे सुन्दर भाव! स्वयं को मंत्रमुग्ध पा रहा हूँ।
ReplyDeleteआ0 आपके उत्साह वर्धन के लिए आभार
Deleteगीतिका सभी छंदों पर आधारित है गजल की तरह
वाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही मनभावन लाजवाब गीतिका।
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर कविता अनिता जी !
ReplyDeleteआपकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति में मेरी दोनों बेटियों - गीतिका और रागिनी के नाम आ गए.
जी आ0
Deleteहार्दिक आभार
वाह ...
ReplyDeleteगज़ल के भाव में लिखी अनुपम कृति ... सुन्दर रचना ... गीतिका ...
हार्दिक आभार आ0
Deleteसरस रचना
ReplyDeleteधन्यवाद
ReplyDelete