Tuesday, November 23, 2021

गीतिका

छन्द से श्रृंगार करती,नित्य पावन गीतिका।
बैठती उपवन सजा कर, हिन्द आँगन गीतिका।।

शिल्प का जामा पहन कर, लेखनी में कूकती,
झूम कर साहित्य कहता,है लुभावन गीतिका।।

भाव की जब गूढ़ता को,पंक्तियां दो ही कहें
कुंभ में वारीश भरती,दिव्य चिंतन गीतिका।।

लालिमा नीरव लिए जब,शब्द इठलाते चले,
काव्य की फिर रागिनी में, बिम्ब मंथन गीतिका।।

गा रहीं चारों दिशाएं,हो अमर चिरकाल तक,
हैं प्रफुल्लित फिर जनक भी, देख गुंजन गीतिका।।

32 comments:

  1. अति सुंदर एवं सरस सृजन 💐💐🙏🏼

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    1. सादर धन्यवाद दीप्ति जी

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  2. बहुत सुंदर गीतिका🙏🙏वाह

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  3. अद्भुत, भावपूर्ण गीतिका मैम... वाह्हहहहहहहहहहहहहह

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    1. धन्यवाद प्रशांत जी

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  4. बहुत-बहुत सुंदर गीतिका मैम😇😇🙏❤️

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  5. वाहहह, अतीव सुंदर गीतिका आदरणीया।।हार्दिक बधाई

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  6. गीतिका विधा में गीतिका की महत्ता और सरसता का सुंदर व्याख्यान।
    सुंदर सृजन।

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  7. वाहहहह बेहद खूबसूरत 👏

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  8. वाह! अनुपम शब्दावली में सुंदर गीतिका

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  9. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२५-११-२०२१) को
    'ज़िंदगी का सफ़र'(चर्चा अंक-४२५९ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  10. गीतिका शब्द से मैं प्रथम बार ही परिचित हुआ हूँ। ग़ज़ल के प्रारूप में शुद्ध संस्कृतनिष्ठ देवनागरी भाषा में अभिव्यक्त ऐसे सुन्दर भाव! स्वयं को मंत्रमुग्ध पा रहा हूँ।

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    1. आ0 आपके उत्साह वर्धन के लिए आभार
      गीतिका सभी छंदों पर आधारित है गजल की तरह

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  11. वाह!!!
    बहुत ही मनभावन लाजवाब गीतिका।

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  12. बहुत सुन्दर कविता अनिता जी !
    आपकी भावपूर्ण अभिव्यक्ति में मेरी दोनों बेटियों - गीतिका और रागिनी के नाम आ गए.

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  13. वाह ...
    गज़ल के भाव में लिखी अनुपम कृति ... सुन्दर रचना ... गीतिका ...

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