चिंगारी अफवाह की,झूठ पसारे पाँव।
उठता रहता है धुँआ,सत्य माँगता ठाँव।।
जले ज्योति संकल्प की, सतत मनोबल साध।
खड़ी सफलता द्वार पर, लेकर हर्ष अगाध।।
झूठ लबादा ओढ़ के,चकाचोंध में मस्त।
विज्ञापन बाजार में,मानव जीवन त्रस्त।।
नेता बाँटें रेवड़ी, नाम दिए अनुदान।
पासा फेंकें लोभ का,राजनीति विज्ञान।।
सरकारी अनुदान का,करिए उचित प्रयोग।
जनता का धन है लगा, भूल रहे यह लोग।।
अनिता सुधीर
खूबसूरत
ReplyDeleteजनता का धन है लगा, भूल रहे यह लोग🙏 एकदम सटीक दोहे🙏
ReplyDeleteबहुत सुंदर 👏👏👏💐💐💐
ReplyDeleteधन्यवाद सरोज जी
Deleteसुंदर और सार्थक दोहे।
ReplyDeleteधन्यवाद आ0
Deleteअत्यंत उत्कृष्ट एवं सटीक दोहावली 💐💐🙏🏼
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीप्ति जी
DeleteBahut khoob
ReplyDeleteधन्यवाद आ0
Deleteहार्दिक आभार आ0
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
ReplyDeleteआपकी काव्य-यात्रा अद्भुत है क्योंकि यह वैविध्यपूर्ण है। आपकी काव्य-सरिता उत्कृष्टता के पृथक्-पृथक् कूलों को स्पर्श करते हुए अग्रसर हो रही है, यह अपने आप में ही एक अति-प्रशंसनीय तथ्य है। और इन दोहों पर तो क्या कहूं? सब एक से बढ़कर एक हैं।
ReplyDeleteआ0 आपके स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
Deleteजले ज्योति संकल्प की, सतत मनोबल साध।
ReplyDeleteखड़ी सफलता द्वार पर, लेकर हर्ष अगाध।।---गहन रचना
वाह!सखी लाज़वाब।
ReplyDeleteसादर
धन्यवाद सखि
Deleteवर्तमान समाज की सच्चाई
ReplyDeleteशुक्रिया
Deleteचिंगारी अफवाह की,झूठ पसारे पाँव।
ReplyDeleteउठता रहता है धुँआ,सत्य माँगता ठाँव।
बहुत ही शानदार प्रस्तुति
हार्दिक आभार आ0
ReplyDeleteआज की सच्चाई पर सटीक सृजन।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर सखी।
आभ्गर सखि
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