Friday, December 24, 2021

वृद्धावस्था

 चित्र गूूूगल से 
वृद्धावस्था
***
नींव रहे ,
ये सम्मानित बुजुर्ग
मजबूत हैं इनके बनाये दुर्ग
छत्रछाया में जिनके पल रहा  
सुरक्षित आज का नवीन युग..
परिवर्तनशील जगत में 
खंडहर होती इमारतें 
और उम्र के इस पड़ाव में ..
निस्तेज पुतलियां,भूलती बातें
पोपला मुख ,आँखो में नीर 
झलकती व्यथा ,अब करती सवाल है ...
मेरे होने का औचित्य क्या ..
क्या मैं जिंदा हूँ ....
तब स्पर्श की अनुभूति से
अपनों का साथ पाकर
दादा जी
जो जिंदा है बस
वो थके जीवन में  फिर जी उठेंगे ....
वृद्धावस्था अंतिम सीढ़ी  सफर  की
समझें ये पीढ़ी जतन से
जब जीर्ण शीर्ण काया मे
क्लान्त शिथिल हो जाये मन
तब अस्ति से नास्ति
का जीवन  बड़ा कठिन ।
अस्थि मज्जा की काया में
सांसो का जब तक डेरा है
तब तक  जग में अस्ति है
फिर छूटा ये रैन बसेरा है ।"
जो बोया काटोगे वही 
मनन करें 
सम्मान  दे इन्हें
पाया जो प्यार इनसे , 
शतांश भी लौटा सके इन्हें
ये तृप्त हो लेंगे.. 
ये फिर जी उठेंगें ...

अनिता सुधीर 

24 comments:

  1. हम कुछ कर सकें तो बेहतर। कुछ आस दे सकें तो बेहतर। जीवन एक चक्र है जो युवा है वो भी कल बुजुर्ग होगा।ये सबकी समझ में आ जाए तो और भी बेहतर।
    बहुत ही अच्छी और सीख देने वाली रचना।

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  2. मार्मिक। सच, हम शतांश भी लौटा सकें....

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  3. अत्यंत संवेदनशील एवं भावपूर्ण सृजन 💐💐💐🙏🏼

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  4. अत्यंत संवेदनशील एवं मार्मिक सत्य.... ये फिर जी उठेंगे 🙏🙏🙏💐💐

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    Replies
    1. हार्दिक आभार सरोज जी

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  5. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२५-१२ -२०२१) को
    'रिश्तों के बन्धन'(चर्चा अंक -४२८९)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  6. शतांश भी लौटा सके उन्हें🙏🙏🙏अत्यंत गंभीर🙏नमन

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  7. बुढापे और उनके प्रभावों को बाखूबी लिखा है ...

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  8. ये सम्मानित बुजुर्ग
    मजबूत हैं इनके बनाये दुर्ग
    छत्रछाया में जिनके पल रहा
    सुरक्षित आज का नवीन युग..
    बिल्कुल सही कहा आपने मैम
    बहुत ही गहरे भावों को बयां करती मार्मिक व हृदयस्पर्शि रचना..

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  9. बहुत ही हृदयस्पर्शी एवं संवेदनशील सृजन
    सही कहा हम शतांश भी लौटा सकें....
    वाह!!!

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  10. हृदय स्पर्शी सृजन सखी।
    प्रेरक पंक्तियां काश सब समझ लें।
    पूरा प्रतिदान न सही कुछ ही देर दे।👌

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  11. बेहद हृदयस्पर्शी रचना।

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    Replies
    1. धन्यवाद अनुराधा जी

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