चित्र गूगल से साभार
*मदिरा सवैया*
।। १ ।।
पावन भू पर जन्म लिए,मुनि भारत गौरव गान लिखे।
दर्शन योग पतंजलि का,ऋषि धातु रसायन मान लिखे।।
योग विधान प्रसिद्ध हुआ,परिभाषित सूत्र महान लिखे।।
भाष्य विवेचन सार लिखे,वह संस्कृति का अवदान लिखे।।
।।२।।
अष्ट प्रकार सधे तन ये,छह दर्शन में उत्थान लिखे।
औषधि वैद्य पितामह थे,तन साधन का तप ज्ञान लिखे।।
जो उपचार किए मन का,मन चंचल का वह ध्यान लिखे।
रोग विकार मिटा जग का,वह भारत की पहचान लिखे।।
अनिता सुधीर आख्या
अत्यंत उत्कृष्ट सवैया, नमन🙏
ReplyDeleteमहर्षि पतंजलि को समर्पित अति उत्तम सवैया छंद सृजन 💐💐🙏🏼
ReplyDeleteधन्यवाद दीप्ति जी
Deleteश्रेष्ठ छंद। हमारे पूर्वजों ने विश्व को बहुत कुछ दिया है
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteपतंजलि जी पर ऐसे अद्भुत सवैये! अभिभूत हूँ आपकी बहुमुखी काव्य-प्रतिभा को निरखकर।
ReplyDeleteसादर आभार
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