Thursday, December 9, 2021

कीर्ति ध्वज


 चित्र गूगल से


कीर्ति ध्वज


कीर्ति ध्वज जब हाथ थामे

है शिखर भी पाँव में फिर


शीत भी जब काँपती-सी

धमनियों में रक्त उबले

हिम कणों की चादरों में

है तिरंगा श्रेष्ठ पहले

प्राण भी बाजी लगाता 

पर्वतों के ठाँव में फिर।।

कीर्ति ध्वज..


हौसला पहुँचे चरम पर

मुश्किलें कब रोकतीं पग

जब विजय उद्घोष करता

गर्जना से गूँजता जग

सरहदों का गान होता

राष्ट्र के हर गाँव में फिर।।


कीर्ति ध्वज..


वीरता डंका बजाकर

धूल बैरी को चटाए

काल सीना तान कर नित

शत्रु की हस्ती मिटाए

युद्ध जब इतिहास रचता

देश ध्वज की छाँव में फिर।।


कीर्ति ध्वज..



अनिता सुधीर आख्या



5 comments:

  1. आप के विचार सभी विषयों पर भावपूर्ण और मार्मिक होते हैं। साधुवाद

    ReplyDelete
  2. बहुत ही सुन्दर दी बधाई आपको 🙏🙏🙏👌👌

    ReplyDelete

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे   एक  गीत  विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...