धर्म और अध्यात्म का,लेकर रूप अनूप।
विश्वनाथ के धाम का,देखें भव्य स्वरूप।।
वरुणा असि के नाम पर,पड़ा बनारस नाम।
घाटों की नगरी रही,कहें मुक्ति का धाम।।
घाटों के सौंदर्य में,है काशी की साख।
गंग धार की आरती,कहीं चिता की राख।।
विश्वनाथ बाबा रहे, काशी की पहचान।
गली गली मंदिर सजे,कण कण में भगवान।।
गंगा जमुनी मेल में रही बनारस शान।
तुलसी रामायण रचें, कबिरा संत महान।।
कर्मभूमि उस्ताद की,काशी है संगीत।
कत्थक ठुमरी साज में,जगते भाव पुनीत।।
काशी विद्यापीठ है, शिक्षा का आधार।
हिन्दू विद्यालय लिए,'मदन' मूल्य का सार।।
दुग्ध कचौरी शान है, मिला पान को मान।
हस्त शिल्प उद्योग से, 'बनारसी' पहचान।।
नित्य शवों की त्रासदी,भोग रहें हैं लोग।
करें प्रदूषित गंग को, काशी को ही भोग।।
बाबा भैरव जी रहे, काशी थानेदार।
हुये द्रवित अब देख के, ठगने का व्यापार।।
धीरे चलता यह शहर,अब विकास की राह।
मूल रूप इसका रहा,जन मानस की चाह।।
अनिता सुधीर
अत्यंत सजीव वर्णन मैम🙏🙏 अद्भुत
ReplyDeleteहार्दिक आभार गुंजित
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 14 दिसम्बर 2021 को साझा की गयी है....
ReplyDeleteपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
हार्दिक आभार आ0
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteअति सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
DeleteBahut khoob
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteदेवनगरी काशी का सजीव चित्रण करती उत्कृष्ट दोहावली 💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteवाह!बहुत सुंदर।
ReplyDeleteसादर
उत्कृष्ट, सजीव चित्रण करती दोहावली मैम.....
ReplyDeleteनमन है... 😍😍😍😍😍💐💐💐💐💐💐
हार्दिक आभार आ0
Deleteवाहहह, अद्भुत काशी महात्म्य। वंदनीयम
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(14-12-21) को "काशी"(चर्चा अंक428)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत ही सुंदर रचना... 🙏
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteजी हार्दिक आभार
Deleteवाह!सखी काशी नगरी के महात्म्य का सुंदर चित्रण दोहों के माध्यम से।
ReplyDeleteउत्तम सृजन।
हार्दिक आभार
ReplyDeleteधन्यवाद सखि
ReplyDeleteदिव्य काशी पर अद्वितीय रचना
ReplyDeleteबेहद सुंदर रचना
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