Monday, December 20, 2021

इंद्रधनुष

 

दोहे

दोहे


रंग चुरा लूँ धूप से, संग नीर की बूँद।

इंद्रधनुष हो द्वार पर, देखूँ आँखे मूँद।।


तम के बादल छट रहे, दुख की बीती रात।

इंद्रधनुष के रंग ले, सुख की हो बरसात।।


रंगों के इस मेल में, छुपा सुखद संदेश।

इंद्रधनुष बन एक हों, उत्तम फिर परिवेश।।


सात रंग के अर्थ में, कितने सुंदर कथ्य।

धरा गगन जल सूर्य के, लिए हुए हैं तथ्य।।


कभी उदासी घेरती, कभी हुआ मन क्लांत।

इंद्रधनुष के रंग फिर, करे चित्त को शांत।।


अनिता सुधीर

22 comments:

  1. अंतिम पंक्तियां मन को छूती हुई ... बहुत ही अच्छा लिखा आपने

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  2. बहुत ही सुंदर दोहावली🙏

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  3. अति सुंदर एवं मनमोहक दोहावली 💐💐🙏🏼

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  4. सादर आभार दीप्ति जी

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  5. अति सुन्दर एवं सार्थक दोहावली दीदी 🙏🙏💐💐

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  6. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(21-12-21) को जनता का तन्त्र कहाँ है" (चर्चा अंक4285)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  7. बहुत खूबसूरत सृजन

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  8. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (22-12-2021) को चर्चा मंच          "दूब-सा स्वपोषी बनना है तुझे"   (चर्चा अंक-4286)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'   

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  9. हार्दिक आभार आ0

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  10. आप के द्वारा रचित दोहे प्रशंसनीय है एवं विषय वस्तु भी सराहनीय।धन्यवाद।

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  11. बहुत ही प्यारे दोहे इंद्रधनुष से लुभावने।

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