Sunday, December 12, 2021

अमृत महोत्सव

 



चित्र गूगल से

पदपादाकुलक छन्द


है अमृत पर्व की नव बहार।

अब आत्म बोध का हो विचार।।


नित देश प्रेम की जले ज्योति

मिल लक्ष्य साध लो सब अपार।।


बलिदान कथ्य जो अमर आज

हम चुका सकें उनका उधार


कर्तव्य भाव को रख प्रगाढ़,

मिल पूर्ण करें अमरत्व सार।।


हों स्वर्ण विहग के नव्य पंख,

सुन मातु भारती की पुकार।।


अनिता सुधीर आख्या


7 comments:

  1. अत्यंत अद्भुत छंद सृजन🙏

    ReplyDelete
  2. अत्यंत ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली छंद सृजन 💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद दीप्ति जी

    ReplyDelete

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे   एक  गीत  विज्ञान पर रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान । दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार। हुआ अँधे...