चित्र गूगल से
पदपादाकुलक छन्द
है अमृत पर्व की नव बहार।
अब आत्म बोध का हो विचार।।
नित देश प्रेम की जले ज्योति
मिल लक्ष्य साध लो सब अपार।।
बलिदान कथ्य जो अमर आज
हम चुका सकें उनका उधार
कर्तव्य भाव को रख प्रगाढ़,
मिल पूर्ण करें अमरत्व सार।।
हों स्वर्ण विहग के नव्य पंख,
सुन मातु भारती की पुकार।।
अनिता सुधीर आख्या
अत्यंत अद्भुत छंद सृजन🙏
ReplyDeleteधन्यवाद गुंजित
Deleteबहुत खूब।
ReplyDeleteआपका आभार
Deleteअत्यंत ओजपूर्ण एवं प्रभावशाली छंद सृजन 💐💐💐🙏🏼
ReplyDeleteधन्यवाद दीप्ति जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
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