विवाह पंचमी की शुभकामनाएं
।।१।।
उर लाज भरे पग साध चलीं, सुकुमारि सिया वरमाल लिए।
अति प्रेम भरें वर को निरखें, मुख तेज कपोल गुलाल लिए।।
शुभ सुंदर रूप लखें वधु का, जन हर्षित हैं सुर ताल लिए।।
सखि मंगलचार करें सँग में, वर पूजन का शुभ थाल लिए।।
।।२।।
अति विह्वल जान सखी कहतीं,अब लाज तजो कर माल उठाओ।
प्रभु को लख क्यों सुध भूल रही, उनको वरमाल गले पहनाओ।।
कर पंकज नाल समान उठा, विधु मान उन्हें अब अर्घ्य चढ़ाओ।
जब चेतन-शक्ति प्रतीक मिले ,जग जीवन के अब स्वप्न सजाओ।।
अनिता सुधीर आख्या
Bahut sunder jaimal geet
ReplyDeleteअतीव सुन्दर
ReplyDelete👌🏽👌🏽👌🏽💐💐💐
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteअति सुन्दर एवं भाव पूर्ण
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत ही सुन्दर दी बहुत बधाई💐💐💐💐
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुंदर,इसको गायन में तब्दील कर अपलोड करिये ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुंदर भावपूर्ण श्री सीताराम जयमाल का दृश्य 🙏🙏💐💐
ReplyDeleteअहा, आनन्दम, बधाई💐
ReplyDeleteबहुत सुंदर सवैये🙏🙏नमन
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९-१२ -२०२१) को
'सादर श्रद्धांजलि!'(चर्चा अंक-४२७३) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
हार्दिक आभार आ0
Deleteहृदय गदगद हो गया जब इन पंक्तियों के मध्य से प्रथम दृष्टि प्रवाहित हुई एवं तदोपरांत मन की उर्मियां। व्यक्तित्व के कण-कण को सुकोमल भावों से आप्यायित कर देने वाला काव्य कैसा होता है एवं कैसा होना चाहिए, यह इसका अनुपम उदाहरण है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteअति सुंदर एवं सजीव चित्रण किया है आपने 😍😍💐💐💐🙏🏼🙏🏼
ReplyDeleteआपको हार्दिक आभार
Deleteअति सुन्दर मनमोहक...
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब सृजन
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं आपको ऐसे अद्भुत सृजन हेतु।
सादर आभार
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