रो रही है उम्र कच्ची
जब कुपोषण को जिया है।
भूख तड़पे नित उदर में
जब पतीली ही उबलती
हाथ दो ही खींचते घर
आठ की जो आस पलती
रोग को मिलता निमंत्रण
रक्त फिर आकर पिया है।।
थाल भरते व्यंजनों से
फिर उदर नखरे दिखाता
पूड़ियों को छोड़ कर तब
स्वाद का तड़का लगाता
ढूँढ़ते कूड़ा रहे कुछ
बीन कर रोटी लिया है।।
वृक्ष ने कीमत चुकायी
अन्न हो सब थालियों में
आदतों की मौजमस्ती
अन्न बहता नालियों में
है दुखद यह बात कितनी
ब्रह्म अपमानित किया है।।
लोक हित में हों समर्पित
नित यही कर्त्तव्य करना
श्रेष्ठता ही धर्म हो अब
अन्न का सब मान रखना
लक्ष्य हमको साधना है
ये वचन भू को दिया है।।
अनिता सुधीर आख्या
सार्थक सृजन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद रानी जी
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन।
ReplyDeleteसादर
बहुत आभार अनिता जी
Deleteअन्न का सब मान रखना🙏🙏नमन मैम🙏
ReplyDeleteआभ्गर गुंजित
Deleteअन्न की महत्ता को बताती संवेदनशील सृजन 💐💐🙏🏼
ReplyDeleteधन्यवाद दीप्ति जी
Deleteवाकई ये बहुत बड़ी विडंबना है कि एक ओर लोग बिना सोचे समझे अन्न की बर्बादी करते हैं वहीं दूसरी ओर लोग अन्न के एक एक दाने को तरसते हैं।बहुत सुंदर नवगीत👏👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर यथार्थ दृश्य ऐसा नहीं होना चाहिए बहुत सुन्दर नवगीत 🙏🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार पूनम जी
Deleteइस मर्मस्पर्शी कविता के भाव से मैं पूर्ण सहमति व्यक्त करता हूँ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteआपकी कविता समाज के विभिन्न पहलुओं को सार्थक रूप मे प्रकट करती है। साधुवाद
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(12-12-21) को अपने दिल के द्वार खोल दो"(चर्चा अंक4276)
पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक आभार आ0
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी आभ्गर
Deleteहृदय स्पर्शी उद्गार सत्य का पूर्ण आईना और समर्थन।
ReplyDeleteबहुत सुंदरता से भावों को नवगीत में पिरोया है सखी।
बहुत सुंदर।
आभ्गर सखि
Deleteसुंदर कविता।
ReplyDeleteसादर आभार
ReplyDeleteसादर आभार
ReplyDeleteअन्न का सब मान रखना!!
ReplyDeleteकिसी के घर का कूड़ा किसी के घर की जरूरतें पूरी करता है किसी की जूठन से किसी का पेट भरता है!
बिल्कुल सही कहा आपने! बहुत ही बेहतरीन हुआ है व हृदय स्पर्शी रचना!
हार्दिक आभार आ0
Deleteमार्मिक रचना, अन्न का अपमान न हो ऐसा प्रयास सदा ही रहना चाहिए
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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