Wednesday, February 2, 2022

श्रमिक

 


कुंडलिया छन्द


।१।

सहता रहता त्रासदी ,श्रम का यह भगवान।

हाड़ मांस का तन बना,करता कार्य महान।।

करता कार्य महान, देश की सेवा करता ।

मिला नहीं अधिकार, सदा तिल तिल कर मरता।।

करे भवन निर्माण , स्वेद कण पल पल बहता।

वृक्ष तले है ठाँव, ताप जीवन का सहता ।।


।२।


नेता सब वादे करें,पूरी करें न बात।

उचित मूल्य इनको मिले,तब सुधरे हालात।।

तब सुधरे हालात,चले श्रमिकों का खर्चा।

शोषण का इतिहास,सदा चलती है चर्चा ।।

इन्हें मिले सम्मान ,रहें ये सदा विजेता  ।

श्रमिक नहीं मजबूर,सुनो अब सारे नेता ।।


अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार


10 comments:

  1. सटीक, सार्थक छंद ...
    कुंडलियों में कही बात गहरा असर करती है...

    ReplyDelete
  2. अत्यंत सटीक एवं प्रभावशाली कुण्डलिया 💐💐💐🙏🏼

    ReplyDelete
  3. सामयिक और यथार्थवादी चिंतन से परिपूर्ण उत्कृष्ट कुंडलियां ।

    ReplyDelete
  4. बहुत खूब🙏🙏🙏उत्कृष्ट कुंडलिया

    ReplyDelete

गीतिका

गीतिका  झूठ को सीढ़ियों पर चढ़ाने लगे। पाठ नित ही नया फिर पढ़ाने लगे।। मानते जो स्वयं को सदा श्रेष्ठ ही पात्र ख़ुद को हॅंसी का बनाने लगे।। मू...