Sunday, September 28, 2025

कात्यायनी माता के चरणों में पुष्प

***

कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं।

छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।।


दानव अत्याचार से,मिला धरा को त्राण था।

महिषासुर संहार से,किया जगत कल्याण था।।


पूजें सारी गोपियाँ, ब्रज देवी सम्मान में।

मुरलीधर की आस थी,मग्न कृष्ण के ध्यान में।।


चतुर्भुजी माता लिए,कमल और तलवार हैं।

वर मुद्रा में शाम्भवी, जग की पालनहार हैं।।


जाग्रत आज्ञा चक्र जो,ओज,शक्ति संचार है।

फलीभूत हैं सिद्धियाँ, महिमा अपरम्पार है।।


अनिता सुधीर आख्या 

Thursday, September 25, 2025

मां कूष्मांडा




माँ कुष्माण्डा के चरणों में शब्द पुष्प


माँ कुष्मांडा पूजते ,चौथे दिन नवरात्रि के।

वंदन बारम्बार है,चरणों में बल दात्रि के।।


अंधकार चहुँ ओर था,रूप लिया कुष्माण्ड का ।

ऊष्मा के फिर अंश से,सृजन किया ब्रह्मांड का।


अष्ट भुजी देवी लिए,माला निधि की हाथ में।

अमृत कलश की सिद्धियाँ,सदा सहायक क्वाथ में।।


ओज तेजमय पुंज का,सूर्य लोक में धाम है ।

सकल जगत की स्वामिनी,शत शत तुम्हें प्रणाम है।।


शक्ति मिले संकल्प की,चक्र अनाहत ध्यान से।

रहे प्रकाशित दस दिशा,यश समृद्धि सम्मान से।।


अनिता सुधीर आख्या 


Wednesday, September 24, 2025

मां चंद्रघंटा

माँ चंद्र घण्टा के चरणों में पुष्प


नवरातों त्योहार में,दिवस तीसरा ख़ास है ।
चंद्र घंट को पूज के ,लगी मोक्ष की आस है।।

सौम्य रूप में शाम्भवी,माँ दुर्गा अवतार हैं।
घण्टा शोभित शीश पर,अर्ध चंद्र आकार है ।।

सिंह सवारी मातु की,अस्त्र शस्त्र दस हाथ में।
दर्श अलौकिक जानिए ,दिव्य शक्तियाँ साथ में।।

अग्नि तत्व मणिपुर सधे,योग साधना तंत्र में।
साधक मन को साधते,सप्त शती के मंत्र में।।

ध्वनि घंटे की शुभ रही,करें जोर से नाद सब।
दूर प्रेत बाधा करे,दूर करे अवसाद सब।।

कीर्ति मान सम्मान हो,साधक के घर द्वार में।
रक्षा करने धर्म की,माँ आयीं संसार में।।

अनिता सुधीर आख्या 

Tuesday, September 23, 2025

मां ब्रह्मचारिणी

मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प 


ब्रह्मचारिणी रूप में,माँ दुर्गा को पूजिए।
भक्ति शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।

अक्ष,कमंडल हाथ में,धर्म वेद की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप की दिव्यता।।

ब्रह्मचर्य की साधना,धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता,पूजन विधि ये मानिए।।

स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।

अनिता सुधीर आख्या 

Monday, September 22, 2025

मां शैलपुत्री


प्रथम दिवस मां शैलपुत्री देवी के चरणों में पुष्प


शारदीय नवरात्रि का,आज हुआ आरम्भ फिर।
जगजननी करिये कृपा,तभी मिटे उर दंभ फिर।।

शक्ति रूप की साधना,शुभ फलदायक जानिए।
दुर्गा नौ अवतार को,उन्नति का पथ मानिए।।

योग साधना चक्र की,मन हो मूलाधार में।
शंकर की अर्धांगिनी,चेतन के संचार में।।

शैल पुत्री के रूप को,प्रथम दिवस में पूजते।
घटस्थापना देख के,मन मंदिर फिर गूँजते।।

पर्वत की बेटी धरे,अर्ध चंद्र को शीश पर।
कमल पुष्प त्रिशूल लिए,आओ नंदी बैल पर।।

कुमकुम चावल पुष्प से ,करें मातु आराधना।
पापनाशिनी पाप हर,भवबंधन से तारना ।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, September 20, 2025

सत्य

बोलबाला झूठ का ऐसा बढ़ा जो जा रहा।
सत्यता ने प्रश्न पूछे नित्य रो रो क्यों सहा।।
क्यों उदासी घेरती है प्रश्न ही ये क्यों खड़ा।
झूठ की क्या जीवनी है सत्य वर्षों से अड़ा।।

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, September 17, 2025

दिव्य युगेश

दिव्य युगेश*


आल्हा छन्द आधारित मुक्तक


युग निर्माता मोदी जी का,ओजपूर्ण व्यक्तित्व महान।

पंक मध्य जो कमल खिला है,उसका अद्भुत है आख्यान।।

दीप दिखाएँ क्या सूरज को,कैसे लिख दें उर के भाव

नहीं लेखनी में ताकत यह,उनके गुण के गाए गान।।


मास सितंबर तिथि सत्रह का,भारत में है खास महत्व। 

देव विश्वकर्मा का उद्भव,सृष्टि सृजन का ले विद्वत्व।।

जन्म नरेंद्र लिए इस तिथि को,कैसा यह अद्भुत संयोग

कर्म देव के जैसे करके,मोदी जी पाए देवत्व।।


बड़नगर ग्राम में जन्मे थे,करने संस्कृति का उत्थान।

दामोदर के घर उजियारा,लेकर आया शुभ पहचान।।

धन्य हुई भारत की धरती,धन्य मातु हीरा की गोद

जिनके ममता के आँचल ने,पाला था नेतृत्व महान।।


छप्पन-इंची सीने में रख,अध्यात्मवाद का उजियार।

जनमानस के उर में रहते,शुद्ध रखे अपना आचार।।

संकट को अवसर में बदलें,करते सबसे मन की बात

विश्व-गुरू पहचान बनाने,योग-दिवस का दें उपहार।।


संवेदन मन से कवि मोदी,सदा श्रेष्ठ ही करें विचार।

लक्ष्य रखें आवास सभी का,उसमें जल-जीवन की धार।।

कर्मठ साधक के चिंतन में,रहता सेवक भाव प्रधान

सुख-समृद्धि कन्या को देकर,उज्ज्वला का करें प्रसार।।


निष्ठ कर्मयोगी मोदी जी,लघु विषयों का लें संज्ञान।

घर-घर में शौचालय बनते,चला स्वच्छ भारत अभियान।।

बना योजना जनधन की वह,निम्न वर्ग को देते लाभ

अंत्योदय का सपना लेकर,कृषकों का करते सम्मान।।


प्रगति हेतु भारत की लेते,भांति-भांति के कार्य प्रभार।।

मुद्रा बंदी के निर्णय से,काले धन पर किया प्रहार।।

सजा दिए भ्रष्टाचारी को,नष्ट करें सारे अपराध

दूर-दृष्टि रख काल-प्रवर्तक,चलते मन में ले अंगार।।


अच्छे दिन डिजिटल भारत के,देख रहा अब पूरा तंत्र।

साथ विकास सभी का करना,दिया आत्मनिर्भरता यंत्र।।

रद्द तीन सौ सत्तर धारा,एक असंभव अद्भुत कार्य

भाव लिए सामाजिक समता,राष्ट्रवाद का देते मंत्र।। 


अमृत संकल्प लिए मोदी जी,अर्थ व्यवस्था पर दें जोर।

गर्व विरासत पर करते हैं,लोकतंत्र की पकड़े डोर।।

युवा शक्ति के साहस बल से,विकसित भारत का है स्वप्न

आँख मिला जग की आँखों से,लक्ष्य भेदते चारों ओर।।


उचित विदेश-नीति मोदी की,भारत को देती सम्मान।

अंतरिक्ष में मंगलमय सब,नाद फूँकते जय विज्ञान।।

विश्व पटल पर ऊँचे कद में,उत्तम वक्ता का वैशिष्ट्य

सूर्य उगाते नित्य सवेरे,रग-रग में रख हिंदुस्तान।।


एक शेर चीते से देता,प्रकृति संतुलन का संदेश।

युगदृष्टा युग को देख रहा,और सुधार रहा परिवेश।।

मंथन चिंतन सतत करें वो,अथक परिश्रम कर दिन रात

नवनिर्माण राष्ट्र का करने,लगे हुए हैं दिव्य युगेश।।


जनता को स्वस्थ निरोगी कर,करें देश को आयुष्मान।

एक राष्ट्र में कर समान कर, क्रय विक्रय करते आसान।।

क्षेत्र अछूता नहीं बचा अब,नहीं पड़ी हो उनकी दृष्टि

अनुशासित जीवन शैली में,उच्च कोटि का रखते ज्ञान।।


त्वरित फैसले में सक्षम हैं,भावी पल की सोचें बात।

सत्य सनातन दृढ़ इच्छा से,देश-भक्ति जग में विख्यात।।

अक्षय ऊर्जा रख अक्षत हों,युग संचालक चौकीदार

भाग्यवान हम भारतवासी,पाएँ जब नित सुखद प्रभात।।


अनिता सुधीर आख्या 

लखनऊ

Wednesday, September 3, 2025

जल प्लावन

नवगीत

छिना घरौंदा! ममता तड़पी
आंतों में जब अग्नि जली 

फसल खड़ी इतराती थी जब
आतंकी बरसात हुई
खलिहानों की भूख बढ़ी थी
और मनुज की मात हुई 
कुपित मेघ ने आशा तोड़ी
निर्मम जब चहुं और चली।।

मटका चूल्हा सीली लकड़ी
सिसकी गाती फिर लोरी
बहा बिछौना जल प्लावन में
सेज बनाए क्या गोरी 
नित्य मड़ैया टपक रही जब
जाए वो अब कौन गली।।

है विकास का दावा झूठा
नित पानी में तैर रहा
क्लांत नीति फिर व्यथित पूछती
क्यों उपाय से बैर रहा
खेल नियति के जब घन खेले
किस्मत रेखा कहाँ टली।।

अनिता सुधीर आख्या 



Friday, August 15, 2025

आओ कान्हा ..लिए तिरंगा हाथ

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

गीत

कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ।
आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।।

ग्वाल बाल के अंतस में दो,देश भक्ति की आग।
दिव्य रूप से नाश करो अब,सारे विषधर नाग।।
अखंडता के मूल मंत्र से, ऊँचा करना माथ।
आन विराजो..

खेल बिछा कर चौसर का नित,शकुनी पहने ताज।
घर बाहर के भितरघात से,तुम्हीं बचाओ लाज।।
राजनीति के धर्मयुद्ध में,देना माधव साथ ।।
आन विराजो...

दुशासन दुर्योधन से अब,हरो सुता की पीर।
गोप गोपियां गरिमा में रह,हो जाएं गंभीर।।
मातृभूमि का मान बढ़ाना,उन्हें सिखाओ नाथ
आन विराजो...

सेंक रहे सब अपनी रोटी,दूजे को कम आँक।
सत्य सारथी बन भारत के,रथ देना तुम हाँक।।
कीर्ति पताका लहरा कर नित,दूर करो सब क्वाथ।।

आन विराजो...

बंटवारे को पीड़ा देखी,फिर क्यों बंटते लोग।
आज़ादी के गूढ़ अर्थ का,नहीं समझते योग।।
विविध विचारों में एका रख,हमें बढ़ाना हाथ।
आन विराजो...

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, July 30, 2025

मुक्तक

मुक्तक

ग़मों को उठा कर चला कारवां है।

बनी जिंदगी फिर धुआं ही धुआं है।।

जहां में मुसाफ़िर रहे चार दिन के

दिया क्यों बशर ने सदा इम्तिहां है।।


अनिता सुधीर आख्या 


Thursday, July 10, 2025

गुरु पूर्णिमा


 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 


कब मार्ग मिला दिशि हीन चली,उर भाव पड़े जब शुष्क विविक्त।

मति मूढ़ लिए भटकी जग में,भ्रम जीवन को करता फिर तिक्त।।

मन अस्थिर के रथवान बने,गुरु खींच रहे जब से उर रिक्त।

चित धीर रखा सम भाव जगा,नित ईष्ट करें यह जीवन सिक्त।।


अनिता सुधीर आख्या 


Saturday, July 5, 2025

तुम्हारी आंखों में

जीवन का मनुहार,तुम्हारी आँखों में।
परिभाषित है प्यार, तुम्हारी आँखों में।।

छलक-छलक कर प्रेम,भरे उर की गगरी,
बहे सदा रसधार,तुम्हारी आँखों में।।

तुम जीवन संगीत,सजाया मन उपवन,
भौरों का अभिसार,तुम्हारी आँखों में।।

पूरक जब मतभेद चली जीवन नैया,
खट्टी-मीठी रार,तुम्हारी आँखों में।।

रही अकिंचन मात्र,मिला जबसे संबल,
करे शून्य विस्तार,तुम्हारी आँखों में।।

किया समर्पण त्याग,जले बाती जैसे,
करे भाव अँकवार,तुम्हारी आँखों में।।

जीवन की जब धूप,जलाती थी काया
पीड़ा का उपचार,तुम्हारी आँखों में।।

अनिता सुधीर 

Friday, July 4, 2025

साइबर अपराध

साइबर अपराध 

आल्हा छंद


दुष्ट प्रवृत्तियां दुष्कर्मों से,करें मनुज का नित नुकसान।
जिसकी फितरत ही ओछी हो,लाभ कहां दे तब विज्ञान।।

इंटरनेट कंप्यूटर आए,करने जीवन को आसान।
साइबर अपराधी पनपेंगे,इसका था तब किसको भान।।

करें फिशिंग हैकिंग से शोषण,भेज रहें हैं फर्जी मेल।
झूठे सरकारी कर्मी बन,खेलें कपट घिनौने खेल।।

चुरा जानकारी लोगों की,करते जब ये नित्य गुनाह।
धोखा खाती भोली जनता,उनको करना अब आगाह।।

साइबर अपराधी करते हैं,महिलाओं पर अत्याचार।
 धमकी दे अश्लील परोसे,करते हैं जीना दुश्वार।।

जोड़ रहा हमको दुनिया से,यही अनोखा इंटरनेट।
सेंध लगाते जो अपराधी,उनको कर दें मटियामेट।।

मूल मंत्र चौकन्ना रहकर,हमें उठाना है हथियार।
सजग सबल नारी कर सकती,अनगिन अपराधी पर वार।।

डिजिटल युग की हर महिला को,बनना होगा और सशक्त।
नियम विधान समझ कर सारे,तब दोषी पर करे प्रयुक्त। 

किसी लिंक को क्यों ही खोलें,भेजे जो कोई अज्ञात।
ओ टी पी  मत साझा करिए,पाएंगे तगड़ा आघात।।

साइबर सुरक्षा सब जाने,हुआ पाठ्यक्रम अब तैयार।
इसी क्षेत्र में बना कैरियर, महिलाएं लाएं उजियार।।

दृष्टिकोण में लिए विविधता,ढूंढ रही कितने आयाम।
लैंगिक पूर्वा ग्रह को छोड़े,कठिन कार्य को दे अंजाम।।

प्रौद्योगिक युग की महिला में,कुशल प्रबंधन का गुण खास।
रोके साइबर अपराधों को,भरती जीवन में उल्लास ।।


अनिता सुधीर आख्या 


















Tuesday, April 22, 2025

विश्व पृथ्वी दिवस

सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास।
देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।।

अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर।
पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।।

दूर दूर तक गाँव में,होता गया विकास।
कटे खेत खलिहान जब,धरती हुई उदास।।

धरा कहे संतान से,मत भूलो कर्तव्य।
बने सजग प्रहरी चलो,लिए नव्य गंतव्य।।

हरित रंग की चूनरी,भू आंचल में प्यार।
कोटि-कोटि संतान के,जीवन का आधार।।

अनिता सुधीर आख्या 
चित्र गूगल से साभार

Saturday, March 8, 2025

महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं

घुड़कियाँ घर के पुरुष की

तर्क लड़ते गोष्ठियों में
क्यों सदी रो कर गुजारी

अब सभा चर्चा करे यह
क्यों पुरुष सत्ता रहेगी
मुक्ति ने हुंकार भर दी
कर्ण में सबके कहेगी
घुड़कियाँ घर के पुरुष की
क्या लड़ेगी वो प्रचारी।।

जब कदम ताने सुने हैं
पर निकलते छोकरी के
ताज मिलता मूढ़ता का
तथ्य कहते नौकरी के
राग छेड़े काग कड़वे
रो रही कोकिल बिचारी।।

पुत्र भाई पति पिता के
चार खंभो पर टँगी है
मातु ननदी सास की छत
वर्जनाओं से रँगी है
देखता ब्रह्मांड भी फिर
लांछनों का बोझ भारी।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, February 26, 2025

शिव विवाह

शिव विवाह


त्रिनेत्र सुशोभित चंद्र ललाट, त्रिशूल लिए कर साज चलें हैं।

विचित्र लगे शिव कंठ भुजंग,बरात पिशाच समाज चले हैं।।

विभूति लगे तन मुंड कपाल,मृदंग लिए सब बाज चले हैं।

विराज रहे तब देव सुजान, विमान सजा अधिराज चलें हैं।।

Sunday, February 16, 2025

प्रेम


वेलेंटाइन डे 
प्रेम 
प्रेम क्या है..


कौन करे परिभाषित इसको,लिखे कौन आख्यान भी।
सरल सहज हो प्रेम सरस लिख,करें यही आह्वान भी।।

संवेदन मन में सत्य विचर,ले कर्मों की दिव्यता,
प्रेम साधना प्रेम तपस्या,यही प्रेम ईमान भी।।

सहनशीलता गुण रखते जो,उनको निर्बल मान क्यों
परिवारों की धुरी बने वह,लिखे प्रेम बलिदान भी।।

संबंधों की अपनी गरिमा,सबका एक महत्त्व है,
परहित में जब जीवन अर्पण,बने प्रेम पहचान भी।।

माँग रहे अधिकार सदा क्यों,रखें बोध कर्तव्य का,
सीख लिया जब देना पहले,लिखा प्रेम उत्थान भी।।

सभ्य नागरिक बन जो करते,पालन नित कानून का
जुड़े जड़ों से जब रहते हैं,लिखते प्रेम उड़ान भी।।

सीमाओं पर डटे हुए जो,हार कहाँ वह मानते।
ओढ़ तिरंगा सो जाते जब,लिखते प्रेम महान भी।।

हर मौसम का वार सहे जब,भरें अन्न भंडार को,
स्वेद बूँद इतरा कर कहती,लिखो प्रेम खलिहान भी।।

करें द्वार संवाद सभी जब,मध्य नहीं दीवार हो,
तुलसी चौरा बूढ़ा बरगद,लिखे प्रेम दालान भी।।

सब धर्मों की एका में ही,भारत का कल्याण है
मानव का मानव से रिश्ता,लिखे प्रेम अभियान भी।।


अनिता सुधीर आख्या 
लखनऊ

Tuesday, January 21, 2025

महाकुंभ

महाकुंभ


अद्भुत नगर प्रयाग को,नव्य बनाता कुंभ।
सत्य सनातन प्रेम को,दिव्य बनाता कुंभ।।

भाव त्याग विश्वास ले,भक्ति सिखाता कुंभ।
संत समागम योग से,शक्ति सिखाता कुंभ।।

ले आध्यात्मिक भाव को,कल्पवास का कुंभ।
समरसता के मूल्य में,उर हुलास का कुंभ।।

पुण्य त्रिवेणी देखती,उर का निर्मल कुंभ।
लिए विरासत देश की,बहता कलकल कुंभ।।

नगर बसा तट धूलि पर,सृष्टि दिखाता कुंभ।
मानव के कल्याण को,दृष्टि दिखाता कुंभ।।

रोजगार व्यवसाय को,सफल बनाता कुंभ।
मूल्य प्रबंधन का लिए,पाठ पढ़ाता कुंभ।।

साधक समिधा यज्ञ में,चंदन करता कुंभ।
नित्य उच्चता पर पहुँच,मंथन करता कुंभ।।

कथा अखाड़ों की कहे,शांति दिलाता कुंभ।
जीवन बंधन डोर की,भ्रांति मिटाता कुंभ।।

अनिता सुधीर आख्या 



Friday, January 10, 2025

विश्व हिंदी दिवस

विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई 

विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान

जब सजाएँ ज्ञानी,मुस्कुराया हिंदी काल।
है विधा ने ओढ़ी,चूनरी जो धानी लाल।
है निराले छंदों में,शिल्प का पूरा ये ज्ञान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

थी खड़ी लाचारी,देखती बीमारी रोग।
लाभ लेते ज्ञानी,विद्वता भी देती योग।।
जो उठा है बीड़ा,उच्च हो भाषा का मान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।

नव्यता ले भाषा,ओढ़ती सज्जा को आज।
जो विधा को देखे,रागिनी ने छेड़े साज।।
छंद हिंदी देखे ,दिव्यता का धारे ध्यान।
विश्व में हिंदी का,नित्य बढ़ता हो सम्मान।।


अनिता सुधीर आख्या 




Thursday, January 2, 2025

पूस की रात

 *पूस की रात*


ओस भर कर दूब बैठी

धूप का कब हो सबेरा


शीत रातों को डराए

हड्डियां भी काँपतीं हैं

अब सड़क देखे व्यथा से

आस कंबल ढाँपतीं हैं

ओढ़ता चादर तिमिरमय

साँझ का मध्यम अँधेरा।।


आग उपलों को तरसती 

नीति सरकारी रही है

योजना के छिद्र कहते 

चाय त्योहारी रही है

अल्पना के रंग सूखे 

रैन का कब हो बसेरा ।।


श्वान चौराहे पड़ा है

चाहता वो ताप थोड़ा

जब मनुजता दुरदुराती

आग ने कब साथ छोड़ा

पूस की जो रात ठंडी

घाव टोपी का उधेरा।।


अनिता सुधीर आख्या 


कात्यायनी माता के चरणों में पुष्प *** कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं। छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।। दानव अत्याचार से,मिला ...