माता कालरात्रि के चरणों में पुष्प
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माँ कालरात्रि की अर्चना
कालरात्रि की अर्चना,सप्तम तिथि को कीजिए।
काल विनाशक कालिका,शुभंकरी को पूजिए।।
रक्त बीज संहार जब,जन्म हजारों रक्त का।
दानव का संहार कर,कष्ट हरा फिर भक्त का।।
तीन नेत्र की स्वामिनी,रूप धरे विकराल हैं।
तांडव मुद्रा देख के,दूर भागता काल है ।।
चतुर्भुजी के हाथ में,कांटा और कटार है।
गर्दभ वाहन साथ ले,करें असुर संहार है।।
रोग दोष से मुक्त कर,करें शत्रु का नाश है।
ग्रह बाधा को दूर कर,जग में भरा प्रकाश है।।
द्वार सिद्धियों के खुलें,साधक मन सहस्रार में।
शीर्ष चक्र की चेतना,है दैहिक आधार में।।
अनिता सुधीर
अत्यंत सराहनीय
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteवाह ! माता के अद्भुत रूप का सुंदर चित्रण ।
ReplyDeleteआ0 हार्दिक आभार
Deleteकाल विनाशक कालिका शुभंकरी को पूजिए
ReplyDeleteअति सुन्दर
धन्यवाद
Deleteउत्कृष्ट उल्लाला छंद👏🙏
ReplyDeleteआभार गुंजित
Deleteअत्यंत उत्कृष्ट एवं ओजपूर्ण सृजन 🙏🏼💐
ReplyDeleteधन्यवाद आ0
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