गेरुए सी छाप तेरी*
मखमली सी याद में है
गेरुए सी छाप तेरी
साथ चंदन सा महकता
प्रेम अंगूरी हुआ है
धड़कनों की रागिनी में
रूप सिंदूरी हुआ है
सोचता मन गाँव प्यारा
ये डगर रंगीन मेरी ।।
देह के अनुबंध झूठे
रोम में संगीत बहता
बाँसुरी की नाद बनकर
दिव्यता को पूर्ण करता
जो मिटा अस्तित्व तन का
अनवरत अब काल फेरी।।
जब अलौकिक सी कथा को
मौन की भाषा सुनाती
उर पटल नित झूमता सा
प्रीत नूतन गीत गाती
स्वप्न को बुनते रहे हम
कष्ट की फिर दूर ढेरी।।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर अभिवादन
Deleteबहुत ही सुन्दर 👌👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद पूनम जी
Deleteप्रेम अंगुरी हुआ है, बहुत ख़ूब
ReplyDeleteधन्यवाद जी
DeletePhenomenal 👏👏
ReplyDeleteReally well done mami
ReplyDeleteThanks beta
DeleteWaah
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत खूब लिखा है
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteवाह मुग्ध करती व्यंजनाएं !
ReplyDeleteअभिनव नवगीत।
धन्यवाद सखि
DeleteNo words! Mann aanandit ho gaya ,sunder bhavvyakti,maa saraswati ki kripa bani rahe
ReplyDeleteTum par!
धन्यवाद उषा
Deleteतुम्हारे संबल मिलता रहे
अति सुंदर 🙏
ReplyDeleteजी सादर आभार
Deleteबहुत सुंदर प्रेमपूर्ण,भावपूर्ण रचना 👏👏🌹🌹
ReplyDeleteधन्यवाद सरोज जी
Deleteउफ्फ्फ behind every word I see a flow 6 of spirituality.. true essence of love. ♥️
ReplyDeleteलेखनी धन्य हो गयी
Deleteसादर आभार
अति सुंदर एवं मनमोहक सृजन 💐💐🙏🏼
ReplyDeleteजी धन्यवाद दीप्ति जी
Deleteजी हार्दिक आभार
ReplyDeleteअहा अहा अहा👏👏🙏🙏मन आनंद विभोर हो गया पढ़कर🙏👏
ReplyDeleteधन्यवाद गुंजित
Deleteबहुत भावपूर्ण नवगीत
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteBahut sundar maami 🙏
ReplyDeleteयह एक प्रेमगीत है - एक अनूठा प्रेमगीत। आपके जैसी प्रतिभाशालिनी की उपस्थिति निस्संदेह काव्य-रसिकों का सौभाग्य है। मैं इस योग्य नहीं कि इस अद्भुत गीत की समुचित प्रशंसा कर सकूं।
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