Monday, October 25, 2021

ग़ज़ल



आपकी याद को जब ज़ुदा कर दिया।

रूह को जिस्म ने ज्यों फ़ना कर दिया।।


जिंदगी फिर अधूरी कहानी बनी

बेसबब ही दुखों को बड़ा कर दिया।।


तल्खियां जो पसरने लगी दरमियां

चाहतों ने वही फिर ख़ता कर दिया।।


खिड़कियां बंद रखने लगे अब सभी

फिर गमों ने यहाँ घोंसला कर दिया।।


आज़ भी धड़कनों को ख़बर ही नहीं

कब इन्हें ख्वाहिशों ने ख़फ़ा कर दिया।।


अनिता सुधीर आख्या

30 comments:

  1. वाह! उम्दा, बेहतरीन ग़ज़ल सखी।

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    1. सादर धन्यवाद आ0 सखि

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  2. वाह बहुत खूब 👏👏👏🌹🌹

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  3. सुन्दर और खूबसूरत ।

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  4. गमों ने यहां घोंसला कर दिया। बहुत सुंदर

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  5. बेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐

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  6. बहुत सुंदर गजल।

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  7. बेहतरीन ग़ज़ल🙏👏👏

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  8. वाहहह खूबसूरत ग़ज़ल

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  9. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -10-21) को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  10. उम्दा शेरों से सज्जित लाजवाब गजल,बहुत शुभकामनाएं अनीता जी ।

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  11. बहुत उम्दा गजल आदरणीय ।

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  12. वाह!! बहुत खूब 👌

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