आपकी याद को जब ज़ुदा कर दिया।
रूह को जिस्म ने ज्यों फ़ना कर दिया।।
जिंदगी फिर अधूरी कहानी बनी
बेसबब ही दुखों को बड़ा कर दिया।।
तल्खियां जो पसरने लगी दरमियां
चाहतों ने वही फिर ख़ता कर दिया।।
खिड़कियां बंद रखने लगे अब सभी
फिर गमों ने यहाँ घोंसला कर दिया।।
आज़ भी धड़कनों को ख़बर ही नहीं
कब इन्हें ख्वाहिशों ने ख़फ़ा कर दिया।।
अनिता सुधीर आख्या
वाह! उम्दा, बेहतरीन ग़ज़ल सखी।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0 सखि
Deleteवाह!
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Delete👌👌
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteवाह बहुत खूब 👏👏👏🌹🌹
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteसुन्दर और खूबसूरत ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteगमों ने यहां घोंसला कर दिया। बहुत सुंदर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteबेहद खूबसूरत बेहद रूमानी गज़ल 💐
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteबहुत सुंदर गजल।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आ0
Deleteबेहतरीन ग़ज़ल🙏👏👏
ReplyDeleteधन्यवाद गुंजित
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
Deleteवाहहह खूबसूरत ग़ज़ल
ReplyDeleteधन्यवाद रेखा जी
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26 -10-21) को "अदालत अन्तरात्मा की.."( चर्चा अंक4228) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
उम्दा शेरों से सज्जित लाजवाब गजल,बहुत शुभकामनाएं अनीता जी ।
ReplyDeleteधन्यवाद आ0
Deleteउम्दा ग़ज़ल
ReplyDeleteसादर आभार आ0
Deleteबहुत उम्दा गजल आदरणीय ।
ReplyDeleteवाह!! बहुत खूब 👌
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
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