जब बँटा भारत था
त्रासदी आयी अति घोर।
लौह वल्लभ ने फिर
एकता की बाँधी डोर।।
***
दूरदर्शिता सरिस शिवाजी, कूटनीति थी सम कौटिल्य।
सजग सचेत सदा जीवन में ,नीति निपुणता थी प्राबल्य।।
बने बारडोली के नायक, महिलाएँ कहती सरदार।
लौह पुरुष थे उच्च श्रृंग पर, लिए अखंडित देश प्रभार।।
क्रांति करी थी रक्तहीन जो, लोकतंत्र का दे आधार।
ऐसे नायक बिरले होते, जो जीवन को दें आकार।।
मूर्ति खड़ी जो एका की है, हर उर में अब धड़कें आप।
उन्हीं सिद्धांत पर आज चलें, कटे देश के सब संताप।
नाप सकेगा कौन ऊँचाई,ऐसा बल्लभ भाई नाम।
भारत रत्न महान रहा जो , नतमस्तक हो उन्हें प्रणाम।।
अनिता सुधीर आख्या
उत्कृष्ट रचना 🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद रेखा जी
Deleteबिरले नायक को प्रणाम
ReplyDeleteधन्यवाद अमिता जी
DeleteBhut खूब सुंदर रचना
ReplyDeleteवाह वाह दीदी सुंदर सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद बहन
Deleteसुन्दर और खूबसूरत।
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteजी धन्यवाद
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (01 -11-2021 ) को 'कभी तो लगेगी लाटरी तेरी भी' ( चर्चा अंक 4234 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
हार्दिक आभार आ0
Deleteउत्कृष्ट प्रस्तुति !
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteलौह पुरुष को समर्पित अमूल्य कृति 🙏🏼💐
ReplyDeleteउत्कृष्ट, लौह पुरुष को नमन🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद गुंजित
Deleteवाह
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteआ0 हार्दिक आभार
Deleteसरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteपटेल जी के सम्मान में लिखी सुंदर,सराहनीय रचना ।
ReplyDeleteसादर आभार जिज्ञासा जी
Deleteनमन
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