कात्यायनी माता
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कात्यायन ऋषि की सुता,अम्बे का अवतार हैं।
छठे दिवस कात्यायनी, वंदन बारम्बार है।।
दानव अत्याचार से,मिला धरा को त्राण था।
महिषासुर संहार से,किया जगत कल्याण था।।
पूजें सारी गोपियाँ, ब्रज देवी सम्मान में।
मुरलीधर की आस थी,मग्न कृष्ण के ध्यान में।।
चतुर्भुजी माता लिए,कमल और तलवार हैं।
वर मुद्रा में शाम्भवी, जग की पालनहार हैं।।
जाग्रत आज्ञा चक्र जो,ओज,शक्ति संचार है।
फलीभूत हैं सिद्धियाँ, महिमा अपरम्पार है।।
कात्यायनी माता की जय
ReplyDeleteजी धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत है सुन्दर ,🙏🙏👌👌
ReplyDeleteजी आभार
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (13-10-2021) को चर्चा मंच "फिर से मुझे तलाश है" (चर्चा अंक-4216) पर भी होगी!--सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार करचर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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श्री दुर्गाष्टमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
अति उत्तम 🙏🙏
ReplyDeleteअति उत्तम एवं भक्ति भाव समाहित स्तुति 🙏🏼💐
ReplyDeleteजी धन्यवाद
Deleteमां कात्यायनी को समर्पित सुंदर भाव ! नवरात्रि के पवन पर्व पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई अनीता जी ।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार आपको।भी पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति
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