माता महागौरी के चरणों में पुष्प
अष्टम तिथि की दिव्यता,पूज्य शिवा में ध्यान हो।
मातु महागौरी सदा,भक्तों का कल्याण हो।।
जन्म हिमावन के यहाँ, मातु पार्वती ने लिया।
शंकर हों पति रूप में,बाल काल से तप किया।।
श्वेत वर्ण है मातु का,उपमा श्वेतांबरधरा ।
चतुर्भजी दुखहारिणी,माँ का अब है आसरा ।।
पूजन गौरी का करे,शांति हृदय में व्याप्त हो।
करें पाप का नाश फिर,शक्ति अलौकिक प्राप्त हो।।
राहू की हैं स्वामिनी ,दूर करें इस दोष को।
मातु वृषारूढ़ा भरें,सभी भक्त के कोष को।।
अष्टम तिथि की दिव्यता। सुंदर भाव
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(१४-१०-२०२१) को
'समर्पण का गणित'(चर्चा अंक-४२१७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी हार्दिक आभार
Deleteअद्भुत अतुल्य छंद बद्ध सृजन 💐🙏🏼
ReplyDeleteजय माँ महिषासुर मर्दिनी 🙏🏼💐
अत्यंत उत्कृष्ट सृजन दीदी,जय माता दी 🙏🙏🌹🌹
ReplyDeleteआभ्गर सरोज जी
Deleteवाह वाह वाह👏👏🙏🙏 अद्भुत
ReplyDeleteभक्तिपूर्ण सार्थक लेखन
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteबहुत भक्ति पूर्ण सुंदर पुष्प अर्पित किते आपने माँ गौरी के चरणों में।
ReplyDeleteसुंदर पावन सृजन।
जय माता रानी की ।
वाह बेहतरीन 👌👌
ReplyDeleteआभार सखि
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