Monday, February 28, 2022
शिवरात्रि
Thursday, February 24, 2022
कविता
*बनी प्रेयसी सी चहकी*
खुली गाँठ मन पल्लू की जब
पृष्ठों पर कविता महकी
बनी प्रेयसी शिल्प छन्द की
मसि कागद पर वह सोई
भावों की अभिव्यक्ति में फिर
कभी पीर सह कर रोई
देख बिलखती खंडित चूल्हा
आग काव्य की फिर लहकी।।
लिखे वीर रस सीमा पर जब
ये हथियार उठाती है
युग परिवर्तन की ताकत ले
बीज सृजन बो जाती है
आहद अनहद का नाद लिये
कविता शब्दों में चहकी।।
शंख नाद कर कर्म क्षेत्र में
स्वेद बहाती खेतों में
कभी विरह में लोट लगाती
नदी किनारे रेतों में
रही आम के बौरों पर वह
भौरों जैसी कुछ बहकी।।
झिलमिल ममता के आँचल में
छाँव ढूँढती शीतलता
पर्वत शिखरों पर जा बैठी
भोर सुहानी सी कविता
लिए अमरता की आशा में
युग के आँगन में कुहकी।।
अनिता सुधीर आख्या
Sunday, February 20, 2022
चुनाव
आया दौर चुनाव का ,नेताओं की रार ।
लगा दाँव पर अस्मिता ,करते हैं व्यापार।
Thursday, February 17, 2022
गीत
Wednesday, February 16, 2022
ग़ज़ल
Sunday, February 13, 2022
ग़ज़ल
आप की नजरें इनायत हो गयी
आप से मुझको मुहब्बत हो गयी।
इश्क़ का मुझको नशा ऐसा चढ़ा
अब जमाने से अदावत हो गयी ।
तुम मिले सारा जहाँ हमको मिला
यूँ लगे पूरी इबादत हो गयी।।
ये नजर करने लगी शैतानियां
होश खो बैठे कयामत हो गयी।
जिंदगी सँग आप के गुजरा करे
सात जन्मों की हकीकत हो गयी।
अनिता सुधीर
Saturday, February 12, 2022
वृद्धावस्था
*वृद्धावस्था*
टूटी कमर दीवारों की
तिल तिल करके नित्य मरे
सोने जाती आधी रात
लिए दुखों का सँग तकिया
नींद सिरहाने ऊँघी जो
स्वप्न बने नित ही छलिया
आँसुओं की सभा लगी फिर
अपनों को कब गले भरें।।
पग काँपते घर आँगन के
चार कदम जो चलना है
संयमी तुलसी पीली पड़ती
द्वार आस का पलना है
अमृत रस साथी को देना
स्वयं मौत से कौन डरे।।
दोनों खाट ओसारे की
अस्थियों का पुल बनाएं
स्तम्भ जर्जर गिरा नदी में
चप्पू अब किसे थमाएं
ठहर गयी दोनों ही सुई
हलचल केवल एक करे।।
Wednesday, February 9, 2022
मृगनयनी
मृगनयनी
प्रेम रूप की श्वेत हंसिनी
लगे भोर की अरुणाई
चंचल-चपला सी मृगनयनी
चाल कुलांचे भूल चली
हौले-हौले कदम साध के
शांत चित्त की खिली कली
झुके नयन में लाज भरे जब
प्रीति पंखुड़ी गहराई।।
श्याम केश के अवगुंठन से
चाँद रूपिणी जब झाँके
अधरों का उन्माद धैर्य धर
पुष्प सितारे वह टाँके
स्निग्ध मुग्धता शीत चाँदनी
शुद्ध नीर-सी तरुणाई ।।
प्रेम मूर्ति की सुंदरता में
नहीं जलधि का शोर रहे
राग लावणी अंग सजा के
शीतल से उद्गार बहे
रमणी को परिभाषित करने
मर्यादा वो ठहराई।।
अनिता सुधीर
Tuesday, February 8, 2022
टकराव
मध्य अहम् की दीवारों से
कैसे पायें पार।
रखें ताक पर धीरज को
ढूँढ़ रहें क्यों सेज,
पहन प्रेम का आभूषण
पाती मन की भेज
बनता है राई का पर्वत
बात बात पर रार।।
मध्य अहम् की दीवारों से,कैसे पायें पार।।
किसकी रेखा बड़ी रहेगी
ह्रदय पटल पर द्वंद
कीट द्वेष का कुलबुल करता
बना गले का फंद
उम्मीदों की गठरी भारी
दूजे को दें भार।
मध्य अहम् की दीवारों से,कैसे पायें पार।।
प्रेम कूप अब बिना नीर के
सूख रहे हैं भाव
रहे क्रोध में तनी भृकुटियाँ
छिपा रहे हैं घाव
उच्च नासिका अब कब सोचे
नैना कर लें चार
मध्य अहम् की दीवारों से ,कैसे पायें पार।।
अनिता सुधीर
Saturday, February 5, 2022
माँ शारदे
मनहरण घनाक्षरी छन्द
शिक्षा कला संगीत की,देवी तुम हो शारदे
हृदय में प्रीत भरो, जीवन को तार दे।।
विचार और भावना,मन में हो संवेदना
करते यह प्रार्थना, जन्म ये सुधार दे।।
धवल वस्त्र धारिणी ,मयूर हंस वाहिनी ,
सद्बुद्धि विद्या दायिनी, ज्ञान से सवाँर दे।।
माता वीणा वादिनि को ,पूजते विष्नु महेश
देकर आशीष अम्बा, तम से उबार दे।।
अनिता सुधीर आख्या
Friday, February 4, 2022
दोस्त
लघु कथा
अनिता सुधीर
Thursday, February 3, 2022
गीत
Wednesday, February 2, 2022
श्रमिक
कुंडलिया छन्द
।१।
सहता रहता त्रासदी ,श्रम का यह भगवान।
हाड़ मांस का तन बना,करता कार्य महान।।
करता कार्य महान, देश की सेवा करता ।
मिला नहीं अधिकार, सदा तिल तिल कर मरता।।
करे भवन निर्माण , स्वेद कण पल पल बहता।
वृक्ष तले है ठाँव, ताप जीवन का सहता ।।
।२।
नेता सब वादे करें,पूरी करें न बात।
उचित मूल्य इनको मिले,तब सुधरे हालात।।
तब सुधरे हालात,चले श्रमिकों का खर्चा।
शोषण का इतिहास,सदा चलती है चर्चा ।।
इन्हें मिले सम्मान ,रहें ये सदा विजेता ।
श्रमिक नहीं मजबूर,सुनो अब सारे नेता ।।
अनिता सुधीर आख्या
चित्र गूगल से साभार
संसद
मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...
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राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत मन अम्बर कुछ ड...
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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं एक दीप उम्मीद का,जले सदा दिन रात। मिले हौसला जीत का,यह अनुपम सौगात।। एक दीप संकल्प का,आज जलाएँ आप। तिमिर हृदय...
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शरद पूर्णिमा की बधाई सुख वैभव आरोग्य को,ले आते त्योहार। धर्म कर्म की श्रेष्ठता,पाए नित विस्तार।। शुभ तिथि अश्विन मास की,लाती शुभ...