Friday, January 29, 2021

गजल


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जिंदगी की मुश्किलों से मशविरा ले जाऊँगा।
इस गुलिस्तां के अदब को मैं निभा ले जाऊँगा।।

क्यों मुहब्बत की हवा भी अब बगावत कर रही
नफ़रतों की आँधियों को मैं बहा ले जाऊँगा।।

अब तलक मज़मून ख़त का याद हमने है रखा
कह रहा था आपको इस मर्तबा ले जाऊँगा।।

दौड़ में है वक़्त ज़ाया,सैर जो अब साथ में हो
इस शहर की शाम ये बाद-ए-सबा ले जाऊँगा l

बन रही अब है नजाकत खुद ही देखो इक गजल
आपके इस इत्र का फिर काफिया ले जाऊँगा।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, January 27, 2021

आंदोलन


#आंदोलन
#दोहा

मानव के अधिकार का,करें हनन जब लोग।
आंदोलन के अर्थ का,सार्थक हो उपयोग ।।

आंदोलन के नाम क्यों,करते लोग बवाल।
मूल लक्ष्य को भूल कर,बजा रहें हैं गाल।।

चिपको आंदोलन हुआ,चेती तब सरकार ।
लक्ष्य रहा पर्यावरण, तभी बचे कांतार।।

आंदोलन का मूल ये,समुचित रहे विकास।
भूलें मत कर्तव्य को,जन मानस की आस।।

भारत छोड़ो लक्ष्य था,आजादी संघर्ष।
आंदोलन जब हों सफल,मिले सभी को हर्ष।।


अनिता सुधीर आख्या



















Sunday, January 24, 2021

गीतिका


सत्य डिगता रहा आज इंसान का।
कौड़ियों में बिका धर्म ईमान का।।

झूठ ओढ़े लबादा चला जा रहा,
प्रश्न उठता वही मान अपमान का ।।

क्यों मचाते रहे रार हर बात पर,
भूलते लक्ष्य क्यों राष्ट्र उत्थान का।।

बाँध टूटा रहा धैर्य का इस तरह,
भूलते मान भी वो अनुष्ठान का।।

आसरा जो दिये मुश्किलों में सदा,
नाम होता गुणों के सकल गान का।।

साधना जो करे श्रेष्ठतम की सदा, 
सभ्यता में छुपा राज पहचान का ।।

अनिता सुधीर आख्या

Thursday, January 21, 2021

क्रिकेट

क्रिकेट

कार्य कठिन होता नहीं,मन में जब लें ठान।
बिरलों के संकल्प से,बढ़ा देश का मान।।

खेल रहे थे आँकड़े,हम थे अनुभव हीन।
शीश गर्व से उठ गए, देखे खेल प्रवीन।।

खोदें मरुथल में कुआँ, चेतेश्वर गिल पंत।
रचा गया इतिहास जब,होता हर्ष अनंत।।

अनहोनी होनी हुई , साहस अदम्य देख।
चोट दिलाती जीत जब,सुंदर बनती रेख।।

खेल रहाणे खेलते,जब था लक्ष्य विराट।
भौचक थी फिर गेंद भी,मिला धोबिया पाट।।

है कंगारू पस्त अब,टूटा दर्प गुरूर।
नशा जीत का बोलता,छाया रहा सुरूर।।

अनिता सुधीर




Tuesday, January 19, 2021

गंगा

उल्लाला छन्द
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प्रमुख नदी है देश की,गोमुख उद्गम जानिए।
पंच प्रयागों से बनीं,पावन गंगा मानिए।।

आकर फिर ऋषिकेश में,चलतीं हरि के द्वार अब।
गढ़मुक्तेश्वर कानपुर,चलीं इलाहाबाद तब।।

यमुना से संगम किये,स्वागत काशी घाट में।
मिले मोक्ष का द्वार फिर,भव बंधन की काट में।।

खाड़ी है बंगाल की,सुंदरवन डेल्टा रहा।
कपिल संत का धाम है,तीर्थ गंग सागर कहा।।

देवनदी शुभ गंग को,रखें स्वच्छ हम आप सब।
औषधि गुण भंडार से,करना है उपचार अब।।

गंगा जीवन दायिनी,जल जीवन आधार है।
मातु सरिस सब पूजते,ये संस्कृति का सार है।।

कहीं जन्म ले बह चली,नीर जलधि में भर रही।
विकसित होती सभ्यता,लालन पालन कर रही।।

नहीं प्रदूषित कीजिये,ये कृषि का आधार है।
विकसित जल परियोजना,औद्योगिक विस्तार है।।

माटी को  बाँधे जड़ें  ,रोके मृदा कटाव को।
स्वच्छ नदी की तलहटी,रोके बाढ़ बहाव को ।।

अनिता सुधीर आख्या
©anita_sudhir

Saturday, January 16, 2021

टीकाकरण



#दोहे
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वैज्ञानिक उपलब्धि से,हर्षित हुआ समाज।
श्रेष्ठ कार्य टीकाकरण,आज हुआ आगाज।।

भूल गए दिन रात को,लिया बड़ा संकल्प।
भारत में टीका बना,समय लिया अति अल्प।।

प्रतिरोधक क्षमता बढ़े,टीके का यह काम ।
दूर भगाती रोग को,हुआ देश का नाम।।

सूक्ष्म जीव संताप में,टीकाकरण निदान।
सोची समझी नीतियां,पूर्ण करें अभियान।।

भ्रम फैलाते स्वार्थवश,सुने न उनकी बात।
उत्तम है टीकाकरण, नहीं मिले आघात।।


अनिता सुधीर आख्या




Thursday, January 14, 2021

मकर संक्रांति

दोहा छन्द पर आधारित
गीत 

प्रथम पर्व है वर्ष का,खत्म हुआ खर मास।
तेजोमय हों सूर्य सम,लगी देव से आस।।

संवत के पंचाग में,हिंदू तिथि आधार।
मकर राशि दिनकर चले,आये तब त्यौहार।।
दक्षिण से उत्तर चले, सूर्य देव भगवान।
पुण्य काल आराधना,करिये जप तप दान।।
बीजमंत्र है सूर्य का,मकर संक्रांति खास।
तेजोमय हों सूर्य सम..

परम्परा के पर्व में ,रहे एकता सार
माघी पोंगल लोहड़ी,मिटे दिलों के रार।।
कल्प वास की है प्रथा,उमड़ा जन सैलाब।
भारत संस्कृति श्रेष्ठतम,इसका नहीं जवाब।।
खिचड़ी पापड़ रेवड़ी,तिल गुड़ भरे मिठास।
तेजोमय हों सूर्य सम...

नई फसल अब कट रही,कृषकों का आभार।
भरा रहे धन धान्य से,सदा अन्न भंडार।।
मन पतंग बन उड़ चले ,थामे खुशियां डोर।
सकरात्मक ऊर्जा लिए,नवल सुखद हो भोर।।
ऋतु परिवर्तन जान कर,भरता मन उल्लास।
तेजोमय हों सूर्य सम....

अनिता सुधीर आख्या





Sunday, January 10, 2021

हिंदी

विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं

कुंडलिया
हिंदी


हिंदी भाषा राष्ट्र की,देवनागरी सार।
उच्चारण आसान है,भरा शब्द भंडार।।
भरा शब्द भंडार,रही संस्कृत हमजोली।
भौगोलिक विस्तार,सभी बोलें ये बोली।।
कहती आख्या बात,रही माथे की बिंदी।
ले उर्दू का साथ,मस्त है भाषा हिंदी।।


अनिता सुधीर आख्या

Thursday, January 7, 2021

जीवन की केमिस्ट्री

 बस यों ही 

अक्सर लोग जीवन की केमिस्ट्री के बारे में कहते हैं तो जीवन की केमिस्ट्री उसी के सिद्धांतों पर

जिंदगी की mystery  को

सुलझाती  chemistry 

Pressure कम रख कर

दिल में volume बढ़ाना

बॉयल जी कह गए हैं 

उनका मान तो रखना 

रिश्तों की गर्माहट  से

जीवन में volume बढ़ेगा

Charles जी की theory मानो

 फिर Ideal equation बनाना।

Ionization potential कम रख कर

Electron Affinity बढ़ाना

Sharing के साथ साथ 

Electro valent  मजबूत bondig बनाना।

Negative catalyst से दूर रह 

Promotors जीवन में लाना

Position की क्यों लड़ाई 

Hysenberg की uncertanity हटाना।

Kekule  सी संरचना रख कर 

Resonance को बढ़ाना

जीवन का Reaction mechanism

समझ,

ध्यान ये  जेहन में रखना

रिश्तें कहीं बन न जायें history...

जिंदगी की mystery  को

chemistry से सुलझाना।


अनिता सुधीर आख्या

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...