काव्य कूची
motibhavke.blogspot.com
Thursday, May 16, 2024
चुनावी जंग
Wednesday, April 17, 2024
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार।
आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।।
बसी राम की उर में मूरत
मन अम्बर कुछ डोल रहा है
मुखमंडल की आभा ऐसी,
दीप्ति सूर्य की चमके जैसी।
बंद नयन में तुमको पाया,
आठ याम की लगन लगाया।
इस पनघट पर घट था रीता
ज्ञान चक्षु वो खोल रहा है।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा है।।
आहद अनहद सब में हो तुम
निराकार साकार रूप तुम
विद्यमान हो कण कण में तुम
ऊर्जा का इक अनुभव हो तुम
झांका जब अपने अंतस में,
वरद हस्त अनमोल रहा है
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा है।
राम श्याम बन संग रहो तुम,
चाह यही मैँ तुम्हें निहारूँ ।
मन मंदिर के दरवाजे पर,
नित दृगजल से पाँव पखारूं।
इसी आस में बैठी रहती ,
उर सागर किल्लोल रहा है।
बसी राम की उर में मूरत ,
मन अम्बर कुछ डोल रहा है।
अनिता सुधीर आख्या
Sunday, March 24, 2024
होलिका दहन
Thursday, March 21, 2024
विश्व कविता दिवस पर
*बनी प्रेयसी सी चहकी*
खुली गाँठ मन पल्लू की जब
पृष्ठों पर कविता महकी
बनी प्रेयसी शिल्प छन्द की
मसि कागद पर वह सोई
भावों की अभिव्यक्ति में फिर
कभी पीर सह कर रोई
देख बिलखती खंडित चूल्हा
आग काव्य की फिर लहकी।।
लिखे वीर रस सीमा पर जब
ये हथियार उठाती है
युग परिवर्तन की ताकत ले
बीज सृजन बो जाती है
आहद अनहद का नाद लिये
कविता शब्दों में चहकी।।
शंख नाद कर कर्म क्षेत्र में
स्वेद बहाती खेतों में
कभी विरह में लोट लगाती
नदी किनारे रेतों में
रही आम के बौरों पर वह
भौरों जैसी कुछ बहकी।।
झिलमिल ममता के आँचल में
छाँव ढूँढती शीतलता
पर्वत शिखरों पर जा बैठी
भोर सुहानी सी कविता
लिए अमरता की आशा में
युग के आँगन में कुहकी।।
अनिता सुधीर आख्या
Sunday, March 3, 2024
गीतिका
Monday, January 22, 2024
जय श्री राम
जय श्री राम
जय श्री राम
श्याम वर्ण के राम लला का,हुआ अलौकिक दर्शन अब
हर्षित मन भावुक हो करता,सत्य सनातन वंदन अब ।
योगीराज नमन तुमको है,देवत्व दिया जो पाथर को
बाल सुलभ ममता में गढ़ दी ,स्मित अधरों पर नर्तन
अब।
जय श्री राम
घर घर में प्रभु राम विराजो,अंतस सबका निर्मल कर दो।
शुद्ध आचरण हो मानव का,भक्ति भाव हर उर में भर दो।।
सीख सकें मर्यादा तुमसे,पदचिन्हों पर चले तुम्हारे
यही कामना जनमानस की,नाम तुम्हारा भव से तर दे।।
अनिता सुधीर आख्या
Friday, January 5, 2024
अयोध्या
#SHRIRAMBHAJAN
आज रामलला मंदिर के अक्षत पा कर अभिभूत हूँ
गीत
देख अयोध्या की शोभा को,दीप वर्तिका हर्षायी।
नवल भोर की आस जगाकर,संस्कृति जग में मुस्कायी।।
सदियों ने जब करी तपस्या,दिव्य स्वप्न साकार हुआ।
बाल रूप में प्रिय को पाकर,भावों का अँकवार हुआ।।
रोम-रोम आनंदित हो फिर,बना राम का अनुयायी।।
नवल भोर...
पावन सरयू के घाटों ने,किए भव्यता के दर्शन।
लहर-लहर अब ध्यान लगाए,करे चेतना का चिंतन।।
हुलस-हुलस पग रज छूने को,तटिनी बंधन तज आयी
नवल भोर...
मर्यादित हो युग बदले जब,दूर भागता अँधियारा ।
दो अक्षर से सत्य सनातन,लाए जग में उजियारा।।
नव्य अलौकिक सृष्टि सृजन ने,भारत बगिया महकायी।।
नवल भोर...
अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ
चित्र गूगल से साभार
चुनावी जंग
कुंडलियां गिरगिट को भी मात दे,नेताओं के रंग। चकित भ्रमित जनता खड़ी,देख चुनावी जंग।। देख चुनावी जंग,झूठ का लगता मेला । सुन कर कड़...
-
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं दर्शन चिंतन राम का,हो जीवन आधार। आत्मसात कर मर्म को,मर्यादा ही सार।। बसी राम की उर में मूरत मन अम्बर कुछ ड...
-
#SHRIRAMBHAJAN आज रामलला मंदिर के अक्षत पा कर अभिभूत हूँ गीत देख अयोध्या की शोभा को,दीप वर्तिका हर्षायी। नवल भोर की आस जगाकर,संस्कृति जग मे...
-
उल्लाला छन्द आधारित गीतिका समान्त 'आत' पदांत 'में' ** हँसे खेत खलिहान सब,इस मौसम बरसात में। पाकर प्रेम फु...