Friday, August 15, 2025

आओ कान्हा ..लिए तिरंगा हाथ

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं

गीत

कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ।
आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।।

ग्वाल बाल के अंतस में दो,देश भक्ति की आग।
दिव्य रूप से नाश करो अब,सारे विषधर नाग।।
अखंडता के मूल मंत्र से, ऊँचा करना माथ।
आन विराजो..

खेल बिछा कर चौसर का नित,शकुनी पहने ताज।
घर बाहर के भितरघात से,तुम्हीं बचाओ लाज।।
राजनीति के धर्मयुद्ध में,देना माधव साथ ।।
आन विराजो...

दुशासन दुर्योधन से अब,हरो सुता की पीर।
गोप गोपियां गरिमा में रह,हो जाएं गंभीर।।
मातृभूमि का मान बढ़ाना,उन्हें सिखाओ नाथ
आन विराजो...

सेंक रहे सब अपनी रोटी,दूजे को कम आँक।
सत्य सारथी बन भारत के,रथ देना तुम हाँक।।
कीर्ति पताका लहरा कर नित,दूर करो सब क्वाथ।।

आन विराजो...

बंटवारे को पीड़ा देखी,फिर क्यों बंटते लोग।
आज़ादी के गूढ़ अर्थ का,नहीं समझते योग।।
विविध विचारों में एका रख,हमें बढ़ाना हाथ।
आन विराजो...

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, July 30, 2025

मुक्तक

मुक्तक

ग़मों को उठा कर चला कारवां है।

बनी जिंदगी फिर धुआं ही धुआं है।।

जहां में मुसाफ़िर रहे चार दिन के

दिया क्यों बशर ने सदा इम्तिहां है।।


अनिता सुधीर आख्या 


Thursday, July 10, 2025

गुरु पूर्णिमा


 गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं 


कब मार्ग मिला दिशि हीन चली,उर भाव पड़े जब शुष्क विविक्त।

मति मूढ़ लिए भटकी जग में,भ्रम जीवन को करता फिर तिक्त।।

मन अस्थिर के रथवान बने,गुरु खींच रहे जब से उर रिक्त।

चित धीर रखा सम भाव जगा,नित ईष्ट करें यह जीवन सिक्त।।


अनिता सुधीर आख्या 


Saturday, July 5, 2025

तुम्हारी आंखों में

जीवन का मनुहार,तुम्हारी आँखों में।
परिभाषित है प्यार, तुम्हारी आँखों में।।

छलक-छलक कर प्रेम,भरे उर की गगरी,
बहे सदा रसधार,तुम्हारी आँखों में।।

तुम जीवन संगीत,सजाया मन उपवन,
भौरों का अभिसार,तुम्हारी आँखों में।।

पूरक जब मतभेद चली जीवन नैया,
खट्टी-मीठी रार,तुम्हारी आँखों में।।

रही अकिंचन मात्र,मिला जबसे संबल,
करे शून्य विस्तार,तुम्हारी आँखों में।।

किया समर्पण त्याग,जले बाती जैसे,
करे भाव अँकवार,तुम्हारी आँखों में।।

जीवन की जब धूप,जलाती थी काया
पीड़ा का उपचार,तुम्हारी आँखों में।।

अनिता सुधीर 

Friday, July 4, 2025

साइबर अपराध

साइबर अपराध 

आल्हा छंद


दुष्ट प्रवृत्तियां दुष्कर्मों से,करें मनुज का नित नुकसान।
जिसकी फितरत ही ओछी हो,लाभ कहां दे तब विज्ञान।।

इंटरनेट कंप्यूटर आए,करने जीवन को आसान।
साइबर अपराधी पनपेंगे,इसका था तब किसको भान।।

करें फिशिंग हैकिंग से शोषण,भेज रहें हैं फर्जी मेल।
झूठे सरकारी कर्मी बन,खेलें कपट घिनौने खेल।।

चुरा जानकारी लोगों की,करते जब ये नित्य गुनाह।
धोखा खाती भोली जनता,उनको करना अब आगाह।।

साइबर अपराधी करते हैं,महिलाओं पर अत्याचार।
 धमकी दे अश्लील परोसे,करते हैं जीना दुश्वार।।

जोड़ रहा हमको दुनिया से,यही अनोखा इंटरनेट।
सेंध लगाते जो अपराधी,उनको कर दें मटियामेट।।

मूल मंत्र चौकन्ना रहकर,हमें उठाना है हथियार।
सजग सबल नारी कर सकती,अनगिन अपराधी पर वार।।

डिजिटल युग की हर महिला को,बनना होगा और सशक्त।
नियम विधान समझ कर सारे,तब दोषी पर करे प्रयुक्त। 

किसी लिंक को क्यों ही खोलें,भेजे जो कोई अज्ञात।
ओ टी पी  मत साझा करिए,पाएंगे तगड़ा आघात।।

साइबर सुरक्षा सब जाने,हुआ पाठ्यक्रम अब तैयार।
इसी क्षेत्र में बना कैरियर, महिलाएं लाएं उजियार।।

दृष्टिकोण में लिए विविधता,ढूंढ रही कितने आयाम।
लैंगिक पूर्वा ग्रह को छोड़े,कठिन कार्य को दे अंजाम।।

प्रौद्योगिक युग की महिला में,कुशल प्रबंधन का गुण खास।
रोके साइबर अपराधों को,भरती जीवन में उल्लास ।।


अनिता सुधीर आख्या 


















Tuesday, April 22, 2025

विश्व पृथ्वी दिवस

सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास।
देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।।

अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर।
पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।।

दूर दूर तक गाँव में,होता गया विकास।
कटे खेत खलिहान जब,धरती हुई उदास।।

धरा कहे संतान से,मत भूलो कर्तव्य।
बने सजग प्रहरी चलो,लिए नव्य गंतव्य।।

हरित रंग की चूनरी,भू आंचल में प्यार।
कोटि-कोटि संतान के,जीवन का आधार।।

अनिता सुधीर आख्या 
चित्र गूगल से साभार

Saturday, March 8, 2025

महिला दिवस

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं

घुड़कियाँ घर के पुरुष की

तर्क लड़ते गोष्ठियों में
क्यों सदी रो कर गुजारी

अब सभा चर्चा करे यह
क्यों पुरुष सत्ता रहेगी
मुक्ति ने हुंकार भर दी
कर्ण में सबके कहेगी
घुड़कियाँ घर के पुरुष की
क्या लड़ेगी वो प्रचारी।।

जब कदम ताने सुने हैं
पर निकलते छोकरी के
ताज मिलता मूढ़ता का
तथ्य कहते नौकरी के
राग छेड़े काग कड़वे
रो रही कोकिल बिचारी।।

पुत्र भाई पति पिता के
चार खंभो पर टँगी है
मातु ननदी सास की छत
वर्जनाओं से रँगी है
देखता ब्रह्मांड भी फिर
लांछनों का बोझ भारी।।

अनिता सुधीर आख्या

आओ कान्हा ..लिए तिरंगा हाथ

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं गीत कहां छुपे तुम बैठ गए हो,हे गोकुल के नाथ। आन विराजो सबके उर में,लिए तिरंगा हाथ।। ग्वाल बाल के अंतस में दो,द...