Thursday, December 19, 2024

संसद

मैं संसद हूँ...

"सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं..
संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं..
ईंटो की मात्र इमारत कब हूँ,प्राण देश के मुझमें बसते 
मान लिए निर्माताओं का,दिव्य देश का अभ्यांतर मैं।।

तार-तार जब गरिमा होती,बहा रुधिर फिर कातरता से
ज़ार ज़ार कर शुचिता रोती,राजनीति की जर्जरता से..
नेताओं का शोर शराबा,सत्य कहाँ पहचाना जाता
नित्य विवश हो आहत होती,अपनों की ही अक्षमता से।

धूमिल होती नित्य प्रतिष्ठा,दिन कैसे यह देख रही मैं
आज़ादी का अर्थ नया यह,कैसे कैसे वार सही मैं
प्रजातंत्र की लाज बचा लो,राजनीति का मान बचा लो
लौटा दो स्वर्णिम पल फिर से,वैभव का इतिहास कही मैं।।


अनिता सुधीर आख्या 



Thursday, December 5, 2024

पीर का आतिथ्य





पीर के आतिथ्य में अब
भाव सिसके भीत के

दीमकें मसि पी रहीं जब
खोखले से भाव हैं
खिलखिलातीं व्यंजनाएँ
द्वंद्व के टकराव हैं
भाष्य भी फिर काँपता
वस्त्र पहने शीत के।।

थक चुकी मसि लेखनी की
ढूँढ़ती औचित्य को
पूछती वह आज सबसे
क्यों लिखूँ साहित्य को
रूठ बैठी लेखनी फिर 
भाव खोकर गीत के।।

दाव सहती भित्तियों में
छंद अब कैसे खड़े
शब्द जो मृदुहास करते
कुलबुला कर रो पड़े
लेखनी की नींद उड़ती
आस में नवनीत के।।


अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, November 26, 2024

Monday, November 25, 2024

सफ़र

सोशल मीडिया फेसबुक का आभार है जिसने एक महान गायक और संगीतकार आदरणीय पद्मधर झा शर्मा जी से परिचय कराया जो कि रेडियो और दूरदर्शन के वरिष्ठ कलाकार ,पूर्व मुख्य प्रशासनिक गायक व संगीतकार हैं और अब भी संगीत की साधना में अनवरत लगे हुए हैं।
आपसे बातचीत के दौरान मुझ अंकिचन की रचनाओं पर आपके उद्गार ने मुझे भावुक कर दिया ।
रचना को आपका स्वर और आशीर्वाद मिला जिससे मैं अभिभूत हूँ ।
आदरणीय अग्रज आपको सादर प्रणाम 

आप सब  भी सुनें

इस रचना पर आदरणीय पद्मधर झा शर्मा जी के स्वर


कब सफर पूरा हुआ है ज़िंदगी का हार कर ।
मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।
मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना
आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।

अनिता सुधीर आख्या










Thursday, November 21, 2024

विज्ञान

बस ऐसे ही बैठे बैठे
 
एक  गीत 
विज्ञान पर

रहना था कितना आसान ,पढ़े नहीं थे जब विज्ञान ।

दीवार धकेले दिन भर हम ,फिर भी करते सब बेगार।
हुआ अँधेरा,पढ़ा प्रकाश,विद्युत करता सब कुछ नाश।
भौतिक की ये है पहचान ,बने इसी से मंगल यान।
रहना...

कमी आयतन,बढ़ता दाब,इसे बढ़ायें ,चढ़ता ताप ।
समीकरण में अटके प्राण,बंधन कब करता कल्याण।।
भेद रसायन है अनजान ,नोबल पाते फिर विद्वान ।
रहना...

ज्या कोज्या करता परिहास, ब्याज क्षेत्र से लगती आस ।
रेखा बोती ऐसे बीज ,अंक भला फिर क्या है चीज,
संख्याओं में लटकी जान, करे समन्वय अब हैरान ।
रहना...

जीव जंतु के अद्भुत नाम ,वायरस से जीना हराम।
उलझा बोस जी का बयान,पौधों में होते हैं प्रान
डार्विन पर दुनिया गतिमान,प्राणि तंत्र से निकले जान।

रहना...

पढ़ो ध्यान से पर विज्ञान,तकनीकी का अद्भुत ज्ञान 
सही करो इसका उपयोग,होगा जन जन का कल्यान।
जुड़ा योग संग जब  विज्ञान,विश्व गुरू की है पहचान ।।

रहना...

अनिता सुधीर आख्या

Friday, November 15, 2024

देव दीपावली

दीप माला की छटा से,घाट सारे जगमगाएं।
देव की दीपावली है,हम सभी मिल कर मनाएं।।
भक्ति की डुबकी लगाएं,पावनी जल गंग में जब,
दूर करके उर तमस को,दिव्यता की लौ जलाएं।।

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, October 30, 2024

दीप

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 


एक दीप उम्मीद का,जले सदा दिन रात।
मिले हौसला जीत का,यह अनुपम सौगात।।

एक दीप संकल्प का,आज जलाएँ आप।
तिमिर हृदय का दूर हो,मिटे सभी संताप।।

दीप जले जब ज्ञान का,रहे आचरण शुद्ध।
ऊर्जा के संचार से,अंतस में हैं बुद्ध ।।

करिए यही प्रयास अब,दीप जले हर द्वार।
दिव्य पर्व की ज्योति से,जगमग हो संसार।।


अनिता सुधीर आख्या 

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...