शिव विवाह
त्रिनेत्र सुशोभित चंद्र ललाट, त्रिशूल लिए कर साज चलें हैं।
विचित्र लगे शिव कंठ भुजंग,बरात पिशाच समाज चले हैं।।
विभूति लगे तन मुंड कपाल,मृदंग लिए सब बाज चले हैं।
विराज रहे तब देव सुजान, विमान सजा अधिराज चलें हैं।।
शिव विवाह
त्रिनेत्र सुशोभित चंद्र ललाट, त्रिशूल लिए कर साज चलें हैं।
विचित्र लगे शिव कंठ भुजंग,बरात पिशाच समाज चले हैं।।
विभूति लगे तन मुंड कपाल,मृदंग लिए सब बाज चले हैं।
विराज रहे तब देव सुजान, विमान सजा अधिराज चलें हैं।।
करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं प्रणय के राग गाने को,गगन में चाँद आता है। अमर अहिवात जन्मों तक,सुहागन को सुनाता है।। करे शृंगार जब नारी,कलाए...