Saturday, December 16, 2023

गीतिका

 सरसी छन्द आधारित गीतिका


एक डाल के सब पंछी हैं,सबमें है कुछ खास।

किसी कमी पर कभी किसी का,मत करिए उपहास।।


डर-डर के जीवन क्या जीना,खोने पर क्यों कष्ट।

डरे नहीं बाधाओं से जो,वही रचे इतिहास ।।


सुख-दुख तो आना जाना है,ये जीवन का चक्र

कुछ दिन जो अब शेष बचे हैं,मन में भरें उजास।।


जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान

किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।


दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार

सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।


अनिता सुधीर आख्या

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...