Thursday, November 30, 2023

जीवन साँझ

गीत

झरते पातों का अब जीवन
तनिक बैठ कर सुस्ता ले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।


मृगतृष्णा की चाह लगी थी
कितने कूएँ खोद लिये ,
रिसते पिसते घावों को सह
अनगिन दुख को गोद लिये
भंवर जाल में डूबे उतरे
सर्प बहुत डसते काले।।
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

नवल वसन की आस करे अब
क्लांत शिथिल जर्जर काया।
यादों की झोली में रक्खा ,
सुर्ख पंखुड़ी की माया।
लगा हुआ था मेला जग का
स्मृतियों को कहां छिपा ले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

एक अकेला साथी मनवा
बँधा हुआ परिपाटी से
टूट शाख से अलग पड़ा अब
मिलना होगा माटी से,
स्याह रात के टिम टिम जुगनू
चाहें पतझड़ पर ताले
कितनी सड़कें नापीं तुमने
पूछे पांवों के छाले।।

अनिता सुधीर

Monday, November 27, 2023

देव दीपावली

 



कार्तिक पूर्णिमा
कुंडलिया
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महिमा कार्तिक मास की,गाते वेद पुराण।
मंगलकारी पूर्णिमा,करे जगत कल्याण।।
करे जगत कल्याण,करें तुलसी की पूजा।
करिये जप तप दान,नहीं उत्तम कुछ दूजा।।
देव दिवाली पर्व,दीप की होती गरिमा।
करिये गंगा स्नान,विष्णु की गाएँ महिमा।।

अनिता सुधीर आख्या

Wednesday, November 15, 2023

चित्रगुप्त महाराज की जय

श्री चित्रगुप्त महाराज की जय
भाई दूज की शुभकामनाएं

पावन पर्व के उपलक्ष्य में मेरी कुछ पंक्तिया
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करें कर्म का लेखा-जोखा,चित्रगुप्त भगवान।
लेखपाल की कलम चले जब,लिखे न्याय आख्यान।।
पाप-पुण्य का भान रहे नित,उत्तम रहें विचार
देव मुझे आशीष मिले यह,मिले कलम को मान।।

आज कलम दवात की पूजा,करते सब कायस्थ।
न्यायब्रह्म के वंशज हम सब,कृपा करें धर्मस्थ।।
बुद्धि दीजिए बुद्धि प्रदाता,मिले सभी को ज्ञान
अजर-अमर हों भाई मेरे, रहें सभी अब स्वस्थ।।

अनिता सुधीर आख्या

Monday, November 13, 2023

जगमग दीप जलाएँ

गीतिका

हृदय की कोठरी काली,तमस को नित मिटाना है।
किसी मजबूर के द्वारे,नया दीपक जलाना है।।

नहीं अपमान मूरत का,कहीं भी क्यों इन्हें रखना
विसर्जन रीति हो उत्तम,प्रभावी यह बनाना है।।

मृदा हो मूर्ति की ऐसी,घुले जो नित्य पानी में
सुरक्षित जैवमंडल हो,प्रदूषण से बचाना है।।

जले नित वर्तिका मन की,रहे आलोक हर पथ पर
तभी जगमग दिवाली नित,यही अब अर्थ पाना है।।

लला सिय साथ आये जो,सजी प्रभु राम की नगरी,
विराजें चेतना में अब,नियम शुचिदा निभाना है।।

कहें हर बार सब ये ही,निभाते कौन मन से कब
उचित ही आचरण रखिये,यही सच्चा खज़ाना है।।

अनिता सुधीर आख्या

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...