Wednesday, October 30, 2024

दीप

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं 


एक दीप उम्मीद का,जले सदा दिन रात।
मिले हौसला जीत का,यह अनुपम सौगात।।

एक दीप संकल्प का,आज जलाएँ आप।
तिमिर हृदय का दूर हो,मिटे सभी संताप।।

दीप जले जब ज्ञान का,रहे आचरण शुद्ध।
ऊर्जा के संचार से,अंतस में हैं बुद्ध ।।

करिए यही प्रयास अब,दीप जले हर द्वार।
दिव्य पर्व की ज्योति से,जगमग हो संसार।।


अनिता सुधीर आख्या 

Sunday, October 20, 2024

बाल मन

बाल मन


चांद देखा जब सिया ने,भाव कोमल हँस पड़े हैं।
दृश्य पावन यह मनोरम,कल्पना लेकर उड़े हैं।।
शब्द की सामर्थ्य कहती,बचपना कब लिख सके हम
ओट से आ चांद बोले,हम निकट ही नित खड़े हैं।।

अनिता सुधीर आख्या 

Wednesday, October 16, 2024

शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा की बधाई

सुख वैभव आरोग्य को,ले आते त्योहार।
धर्म कर्म की श्रेष्ठता,पाए नित विस्तार।।

शुभ तिथि अश्विन मास की,लाती शुभ संयोग।
शरद पूर्णिमा रात्रि में,मिले अमिय का भोग।।

धवल नवल जब चंद्रमा,नैसर्गिक यह रूप।
षोडश गुण से पूर्ण हो,भरे हृदय का कूप।।

मां लक्ष्मी भू लोक पर,हो दीपक घर द्वार।
विधि विधान से पूज कर,शुद्ध करें आचार।।

शीतल गुण की रश्मियां,करे खीर जब स्पर्श।
आध्यात्मिक शुभ भाव में,मिलें सत्व के दर्श।।

शरद ,रास,कोजागिरी,होंगे नाम अनेक।
जीवन पावन हो सफल,लक्ष्य सभी में एक।।

रास देखकर  कृष्ण का,ले विधु जब आनंद।
आत्मसात कर दृश्य को,कवि लिखते नित छंद।।


अनिता सुधीर आख्या 

















Wednesday, October 9, 2024

माँ

  मुक्तक

माँ जन्मी अपने तन जब,वह भाव अघाती है।
सृजन पीर माधुर्य लिए,नित प्रीति लगाती है।।
करे गर्भ जब अठखेली,धड़कन सरगम बनती,
कोख सींच आशाओं से,मन द्वार सजाती है।।

अनिता सुधीर आख्या 

Tuesday, October 8, 2024

मनहर

सौभाग्य है कि #विश्वासम परिवार द्वारा प्रकाशित डिजिटल पत्रिका #मनहर के मातृ शक्ति विशेषांक में मेरी रचनाएं। स्वतंत्रता संग्राम में वीरता से लड़ने और अपने प्राणों की आहुति देने वाली  10 वीरांगनाओं का उल्लेख किया है ।
आल्हा छंद के 5 युग्म से इनके जीवन
के प्रमुख घटनाओं को  समाहित करने का प्रयास किया है।

अनिता सुधीर आख्या

Monday, October 7, 2024

स्कंद माता

स्कन्द माता के चरणों में पुष्प


पंचम तिथि माँ स्कंद का,पूजन नियम विधान है।

भक्तों का उद्धार कर , करतीं कष्ट निदान हैं।।


तारकसुर ब्रह्मा जपे, माँग लिए वरदान में।

अजर अमर जीवित रहूँ, मृत्यु न रहे विधान में।।


संभव ये होता नहीं,जन्म मरण तय जानिए।

शिव सुत हाथों मोक्ष हो,मिले मूढ़ को दान ये।।


मूर्ति वात्सल्य की सजे,कार्तिकेय प्रभु गोद में।

संतति के कल्याण में, जीवन फिर आमोद में।।


सिंह सवारी मातु की, चतुर्भुजी की भव्यता।

शुभ्र वर्ण पद्मासना, परम शांति की दिव्यता।।


जीवन के संग्राम में,सेनापति खुद आप हैं।

मातु सिखाती सीख ये, बुरे कर्म से पाप हैं।।


ध्यान वृत्ति एकाग्र कर,शुद्ध चेतना रूप से।

पाएं पुष्कल पुण्य को, पार  लगे भवकूप से।।


अनिता सुधीर आख्या


Sunday, October 6, 2024

मां कूष्मांडा

कुष्माण्डा


माँ कुष्मांडा पूजते ,चौथे दिन नवरात्रि के।

वंदन बारम्बार है,चरणों में बल दात्रि के।।


अंधकार चहुँ ओर था,रूप लिया कुष्माण्ड का ।

ऊष्मा के फिर अंश से,सृजन किया ब्रह्मांड का।


अष्ट भुजी देवी लिए,माला निधि की हाथ में।

अमृत कलश की सिद्धियाँ,सदा सहायक क्वाथ में।।


ओज तेजमय पुंज का,सूर्य लोक में धाम है ।

सकल जगत की स्वामिनी,शत शत तुम्हें प्रणाम है।।


शक्ति मिले संकल्प की,चक्र अनाहत ध्यान से।

रहे प्रकाशित दस दिशा,यश समृद्धि सम्मान से।।


अनिता सुधीर आख्या 

Saturday, October 5, 2024

मां चंद्र घंटा

माँ चंद्र घण्टा के चरणों में पुष्प



नवरातों त्योहार में,दिवस तीसरा ख़ास है ।

चंद्र घंट को पूज के ,लगी मोक्ष की आस है।।


सौम्य रूप में शाम्भवी,माँ दुर्गा अवतार हैं।

घण्टा शोभित शीश पर ,अर्ध चंद्र आकार है ।।


सिंह सवारी मातु की,अस्त्र शस्त्र दस हाथ में।

दर्श अलौकिक जानिए ,दिव्य शक्तियाँ साथ में।।


अग्नि तत्व मणिपुर सधे,योग साधना तंत्र में।

साधक मन को साधते,सप्त शती के मंत्र में।।


ध्वनि घंटे की शुभ रही,करें जोर से नाद सब।

दूर प्रेत बाधा करे,दूर करे अवसाद सब।।


कीर्ति मान सम्मान हो,साधक के घर द्वार में।

रक्षा करने धर्म की,माँ आयीं संसार में।।


अनिता सुधीर आख्या 

Friday, October 4, 2024

मॉं ब्रह्मचारिणी

मॉं ब्रह्मचारिणी के चरणों में पुष्प 

ब्रह्मचारिणी रूप में,माँ अम्बे को पूजिए।
कर्म शक्ति अनुरूप ही,कठिन तपस्या कीजिए।।

अक्ष,कमंडल हाथ में,देवि नाम की भव्यता।
प्रेम त्याग तप साधतीं,मातु रूप में दिव्यता।।

मनोकामना पूर्ण हो,चंद्रमौलि के  ध्यान से।
कठिन तपस्या अब करें,बिल्व पत्र फल पान से।।

ब्रह्मचर्य की साधना धीरज सयंम जानिए।
सदाचार एकाग्रता, पूजन विधि ये मानिए।।

स्वाधिष्ठानी चक्र को,साधक मन जागृत करे।
विचलित चंचल मन सधे,शांत भाव झंकृत करे।।

अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, October 1, 2024

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस

अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस 


*पके आम*

रिक्त सदन में पात झरे जब
पके आम सब पीत हुए।

साया बन कर आशंकायें
नित खेलें छुपन छुपाई
खोल नैन की काली पट्टी
एकांत करे भरपाई
मौन गूँजता मन आँगन में
कंपित से भयभीत हुए।।

पोपल मुख पर निस्तेज नयन 
नूतन स्वांग रचाती है
दंत बतीसी पानी भरती 
जिह्वा शोर  मचाती है
श्वास वाद्य की हलचल ही
अब आँगन के गीत हुए ।।

पल पल बढ़ता एकाकीपन
जीर्ण शीर्ण अब मज्जा है
क्लान्त शिथिल मन भाव सुबकता
व्यंग बाण अब सज्जा है
दुर्ग बनाये जो अपनों से 
वो अब कालातीत हुए।।

अनिता सुधीर आख्या 
चित्र गूगल से साभार

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...