Wednesday, August 30, 2023

रक्षाबंधन


रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएं

श्रावणी की दिव्यता से
खिल उठी सूनी कलाई।।

त्याग तप के सूत्र ने जब
इंद्र की रक्षा करी हो
या मुगल के शुभ वचन से
आस की झोली भरी हो
नेग मंगल कामना में
थी छिपी सबकी भलाई।।
श्रावणी...

रेशमी-सी प्रीति करती
आज ये व्यापार कैसा
बंधनों के मूल को अब
सींचता है नित्य पैसा
मर्म धागे का समझना
बात राखी ने चलाई।।
श्रावणी.…

हों सुरक्षित भ्रातृ अपने
प्रार्थना यह बाँध आएँ
सरहदों पर उन अकेले
भाइयों के कर सजाएँ
भारती का मान तुमसे
हर परिधि तुमने निभाई।।
श्रावणी...


अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार

Wednesday, August 23, 2023

संत तुलसी जयंती

संत तुलसीदास जयंती की शुभकामनाएं

सवैया

अति लोक लुभावन मानस है,प्रभु राम चरित्र रचे तुलसी।
वह घाट बनारस पावन है,गुणगान सचित्र रचे तुलसी।।
जब मार्ग दिखा हनुमान चले,शुभ ग्रंथ पवित्र रचे तुलसी।
पट द्वार खुले जब मंदिर के,हिय शंकर मित्र कहे तुलसी।।


तुलसी कृत पावन मानस में,जनमानस नायक राम लला।
अवतार लिए हरि विष्णु प्रभो,सरयू सुखदायक राम लला।।
रघुनंदन नाथ सियापति जी,रघुवंश सहायक राम लला।।
जगपालक कोटि प्रणाम तुम्हें,भव कष्ट विनाशक राम लला।।

अनिता सुधीर आख्या

Tuesday, August 22, 2023

वरिष्ठ नागरिक


वरिष्ठ नागरिक


वरिष्ठता घर भीतर बैठी
सुने भित्ति की क्यों भनभन

खबरों में दिन अठखेली कर
जब लोरी सुनने आता
उथल-पुथल मन नींद चुरा कर
राग रात के दे जाता
खेद जताते गीतों के स्वर
बाँसुरिया से कुछ अनबन।।

अनुभव करता माथापच्ची
अपने सुख-दुख किससे बाँटे
सजा रहे थे फुलवारी जब
कहाँ गिने पग के काँटे
उम्र खड़ी सठियाई फिर भी
माली देता आलंबन।।

दुर्ग अभेद्य बुढ़ापे में भी
नींव अनागत की डाले
थका हुआ तन फिर से सोचे
सह लेंगे पग के छाले
शेष कर्म को पूर्ण करें अब
जीवन फिर से हो मधुबन।।

अनिता सुधीर आख्या

चित्र गूगल से साभार


























Wednesday, August 16, 2023

धन


 "मदिरा सवैया" 


**


तृप्ति क्षुधा धन से कब हो,धनवान करोड़ डकार रहे।

लोभ बढ़ाकर पाप करें, कितना वह पैर पसार रहे।।

जीवन में अँधियार भरे, कुल का नित मान उतार रहे।

भूल गए असली धन को, कब सत्य प्रताप विचार रहे?


अनिता सुधीर आख्या

    



Tuesday, August 15, 2023

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं


गीत

***

माटी मेरे देश की,है मेरा अभिमान।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


स्वर्ण मुकुट हिमगिरि सजे,सागर पैर पखार।

मानचित्र अभिमान को,व्याघ्र सरिस व्यवहार।

संविधान इस देश का ,देता सम अधिकार ।

देश एक, ध्वज एक हो,मौलिकता हो सार ।।

संस्कृति उत्तम देश की,इस पर हैअभिमान।।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


सर्व धर्म सद्भाव हो ,करिये यही विचार।

भारत के निर्माण में ,रहे एकता सार ।।

मातृभूमि रज भाल पर ,वंदन बारम्बार,

लिये तिरंगा हाथ में,करते जय जयकार।

जयभारत जयहिंद का,सब मिल करिये गान ,

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


श्वेत शांति अरु केसरी,बलिदानी का रूप।

रंग हरा संपन्नता,भारतवासी भूप।।

रखिये इसको ध्यान में,खादी वस्त्र विचार।

देशी को अपनाइये,शुद्ध रहे आचार।।

स्वच्छता अभियान हो ,जन जन की पहचान ।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


देशप्रेम कर्तव्य हो ,देशभक्ति ही नेह।

पंचतत्व में लीन हों,ओढ़ तिरंगा देह।।

अपने हित को साधिये,सदा देश उपरांत ।

देशप्रेम अनमोल है ,अडिग रहे सिद्धान्त।।

मातृभूमि अभिमान है,अमर तिरंगा शान ।

अनेकता में एकता ,भारत की पहचान।।


अनिता सुधीर आख्या


Monday, August 14, 2023

विभाजन

#विभाजन #विभीषिका

उप महाद्वीप का बँटवारा, बँटते जाते नदिया गाँव।
दर्द लिए चलती आजादी, ढूँढ़ रही थी फिर से ठाँव।।

बँटवारे में भाव बँटे थे, बार-बार रोया था धर्म।
मानवता भी शर्मसार थी, देखे जब दानव से कर्म।।

एक राष्ट्र का सपना देखा,उस पर हुआ कुठाराघात।
रक्त बहा था अपनों का ही,आया था फिर झंझावात।।

वर्षों का संघर्ष रहा था, देश हुआ था तब आजाद। 
और विभाजन बनी त्रासदी, कितने घर होते बर्बाद।। 

महिलाएँ बच्चे बूढ़े सब, विस्थापन का झेले दंश। 
नारी के तन से गुजरा था, सीमा रेखा का वह अंश।।

लाखों लोग हुए बेघर थे, उनका कौन करे भुगतान। 
रेडक्लिफ रेखा बँटवारा, कहाँ सफल था ये अभियान।।

धन दौलत के बंटवारे में,उपजे थे गहरे मतभेद।
भारत पर नित्य दबाव पड़े, जिसका अब भी मन में खेद।। 

युद्ध हुआ था दो देशों में, क्या यह था आजादी लक्ष्य।
लाखों जन भागे इधर उधर,अपनों के ही बनते भक्ष्य।। 

सरकार उपाय नहीं जाने, रोक सके हिंसा अपराध। नरसंहार हुआ  लाखों में, यात्रा कब थी फिर निर्बाध।।

हिंदू सिख को बाहर फेंका,ऐसा करता पाकिस्तान।
पर भारत के मुस्लिम जन को,नेता देते हिंदुस्तान।।

दो दिन देख तिरंगे को फिर,लौट चले थे पाकिस्तान।
कहाँ छोड़ना चाहा सबने,अपना प्यारा  हिंदुस्तान।।

गाड़ी पैदल हर साधन से, चलती थी तब भीड़ अपार।
भूखे नंगे भटके चलते, सह कर कितने अत्याचार।।

आज कलम भी रो पड़ती है,लिखे विभाजन का जब दर्द। 
ऐसी आजादी कब सोची, सपनों में लिपटी थी गर्द।।

अध्याय नया जो लिखा गया,अब अपना था भारत देश।
आजाद हवा में साँसे लेता,आजादी का नव परिवेश।।

अनिता सुधीर आख्या

Sunday, August 6, 2023

मित्रता दिवस की शुभकामनाएं


मित्रता दिवस की शुभकामनाएं
सभी मित्रों को समर्पित
**

शूल को पथ से हटाने का मजा कुछ और है।
पुष्प उस पथ में बिछाने का मजा कुछ और है।।

मित्रता के पृष्ठ में जुड़तीं रहीं नव पंक्तियां
याद करके खिलखलाने का मजा कुछ और है।

चार दिन की जिंदगी में रौनकें हैं आपसे
साथ में जीवन बिताने का मजा कुछ और है।।

दूर होकर भी हमेशा पास का एहसास है
आपसे मिलने मिलाने का  मजा कुछ और है।

आप मानें या न मानें बात लेकिन है सही
साथ में गप्पे लड़ाने का मजा कुछ और है।।

मस्तियों से दिन भरे बेफिक्र हो कर रात में
स्वप्न को झूला झुलाने का मजा कुछ और है।।

अनिता सुधीर आख्या

Saturday, August 5, 2023

ग़ज़ल

 एक प्रयास


कब सफर पूरा हुआ है ज़िंदगी का हार कर ।

मंजिलों की शर्त है बस मुश्किलों को पार कर।।


साथ मिलता जब गमों का वो मज़ा कुछ और है

कर सुगम अब राह उनसे हाथ तो दो चार कर ।।


मुश्किलों के दौर में बस हार कर मत बैठना

आसमां को नाप लेंगे आज ये इकरार कर ।।


वक़्त की इन आँधियों में क्या बिखरना है सही

दीप जलता ही रहेगा तू  हवा पर वार कर।।


आशियाने आरजू के ही वहीं  पर  टूटते ।

हर किसी पर बेवजह ही क्यों सदा  एतबार कर।।


ख्वाहिशों के आसमां में अब सितारे टाँक दे

ओढ़ चूनर चाँदनी की जिंदगी उजियार कर ।।


अनिता सुधीर आख्या

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...