गोविंद
भाद्र मास की अष्टमी, कृष्ण लिए अवतार।
अद्भुत लीला श्याम की, खुलते कारा द्वार।।
खुलते कारा द्वार, चले तात शिशु को लिए।
यमुना नीर अपार, शेषनाग छाया किए।।
रास रचैया गोकुल आए।
पालनहारे कष्ट मिटाए।।
सहकर सबके पाप को,पृथ्वी आज उदास। देती वह चेतावनी,पारा चढ़े पचास।। अपने हित को साधते,वक्ष धरा का चीर। पले बढ़े जिस गोद में,उसको देते पीर।। दू...
पालनहारे कष्ट मिटाए। वाह वाह
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