Saturday, December 16, 2023

गीतिका

 सरसी छन्द आधारित गीतिका


एक डाल के सब पंछी हैं,सबमें है कुछ खास।

किसी कमी पर कभी किसी का,मत करिए उपहास।।


डर-डर के जीवन क्या जीना,खोने पर क्यों कष्ट।

डरे नहीं बाधाओं से जो,वही रचे इतिहास ।।


सुख-दुख तो आना जाना है,ये जीवन का चक्र

कुछ दिन जो अब शेष बचे हैं,मन में भरें उजास।।


जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान

किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।


दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार

सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।


अनिता सुधीर आख्या

14 comments:

  1. उत्कृष्ट ! अत्यन्त सराहनीय !

    ReplyDelete
  2. वाह! बहुत सुंदर रचना।

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी ,सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. सादर धन्यवाद कामिनी जी

      Delete
  5. सुंदर और सराहनीय सृजन , आदरणीय । बहुत बधाइयां ।

    ReplyDelete

साइबर अपराध

साइबर अपराध  आल्हा छंद दुष्ट प्रवृत्तियां दुष्कर्मों से,करें मनुज का नित नुकसान। जिसकी फितरत ही ओछी हो,लाभ कहां दे तब विज्ञान।। इंटरनेट कंप्...