सरसी छन्द आधारित गीतिका
एक डाल के सब पंछी हैं,सबमें है कुछ खास।
किसी कमी पर कभी किसी का,मत करिए उपहास।।
डर-डर के जीवन क्या जीना,खोने पर क्यों कष्ट।
डरे नहीं बाधाओं से जो,वही रचे इतिहास ।।
सुख-दुख तो आना जाना है,ये जीवन का चक्र
कुछ दिन जो अब शेष बचे हैं,मन में भरें उजास।।
जो होना वो होकर रहता,विधि का यही विधान
किसके टाले कब टलता यह,राम गये बनवास।।
दया धर्म में तन अर्पण कर,रखिए शुद्ध विचार
सतकर्मों से मिट पायेगा,इस धरती का त्रास।।
अनिता सुधीर आख्या
उत्कृष्ट ! अत्यन्त सराहनीय !
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteवाह! बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपका हार्दिक आभार
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteसादर आभार
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन अनीता जी ,सादर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद कामिनी जी
Deleteसुंदर और सराहनीय सृजन , आदरणीय । बहुत बधाइयां ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार आ0
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