#SHRIRAMBHAJAN
आज रामलला मंदिर के अक्षत पा कर अभिभूत हूँ
गीत
देख अयोध्या की शोभा को,दीप वर्तिका हर्षायी।
नवल भोर की आस जगाकर,संस्कृति जग में मुस्कायी।।
सदियों ने जब करी तपस्या,दिव्य स्वप्न साकार हुआ।
बाल रूप में प्रिय को पाकर,भावों का अँकवार हुआ।।
रोम-रोम आनंदित हो फिर,बना राम का अनुयायी।।
नवल भोर...
पावन सरयू के घाटों ने,किए भव्यता के दर्शन।
लहर-लहर अब ध्यान लगाए,करे चेतना का चिंतन।।
हुलस-हुलस पग रज छूने को,तटिनी बंधन तज आयी
नवल भोर...
मर्यादित हो युग बदले जब,दूर भागता अँधियारा ।
दो अक्षर से सत्य सनातन,लाए जग में उजियारा।।
नव्य अलौकिक सृष्टि सृजन ने,भारत बगिया महकायी।।
नवल भोर...
अनिता सुधीर आख्या
लखनऊ
चित्र गूगल से साभार
सुंदर भाव
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