चेतन और अवचेतन मन
चेतन अरु अवचेतना ,रखे भिन्न आयाम ।
जाग्रत चेतन जानिये ,अवचेतन मन धाम।।
पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार ।
अवचेतन मन साधना ,पूर्ण सत्य आकार ।।
तर्क शक्ति अरु भावना,नींव पड़े व्यवहार ।
सोच सकारात्मक रखें,यही सत्य आधार ।।
दोनों का अस्तित्व ही ,है जीवन का सार ।
दूर करें पाखंड जो ,मन हो एकाकार।।
चेतन अरु अवचेतना ,रखे भिन्न आयाम ।
जाग्रत चेतन जानिये ,अवचेतन मन धाम।।
पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार ।
अवचेतन मन साधना ,पूर्ण सत्य आकार ।।
तर्क शक्ति अरु भावना,नींव पड़े व्यवहार ।
सोच सकारात्मक रखें,यही सत्य आधार ।।
दोनों का अस्तित्व ही ,है जीवन का सार ।
दूर करें पाखंड जो ,मन हो एकाकार।।
पंच तत्व निर्मित जगत,चेतन जीवन सार ।
ReplyDeleteअवचेतन मन साधना ,पूर्ण सत्य आकार ।।
वाह!!!!
लाजवाब..
जी हार्दिक आभार
Deleteउत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteJee हार्दिक आभार
Deleteबेहतरीन रचना सखी!
ReplyDeleteहार्दिक आभार सखी
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteधरा दिवस की बधाई हो।
सुप्रभात...आपका दिन मंगलमय हो।
हार्दिक आभार आ0
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (24-04-2020) को "मिलने आना तुम बाबा" (चर्चा अंक-3681) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
आ0 रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
Deleteवाह !बेहतरीन सृजन आदरणीया दीदी
ReplyDeleteसादर
हार्दिक आभार नामराशि
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन!
ReplyDeleteजी हार्दिक आभार
Deleteजी हार्दिक आभार
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