दोहा छन्द
मनुज श्रेष्ठतम जीव में,ज्ञान रहा आधार ।
ज्ञान सत्य की खोज से,करे बुद्धि विस्तार।।
बुद्धि सदा सत्मार्ग हो,करना पड़ता यत्न।
तत्व ज्ञान मिलता तभी,संग रहे गुरु रत्न ।।
ज्ञानी जब अभिमान में,करते रहते रार ।
बुद्धि चक्षु को खोलता,सकल जगत का सार।।
निराकार शिव जानिये,शंकर हैं साकार।
बुद्धि ज्ञान के भेद से, तत्व लिए आकार ।।
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©anita_sudhir
मनुज श्रेष्ठतम जीव में,ज्ञान रहा आधार ।
ज्ञान सत्य की खोज से,करे बुद्धि विस्तार।।
बुद्धि सदा सत्मार्ग हो,करना पड़ता यत्न।
तत्व ज्ञान मिलता तभी,संग रहे गुरु रत्न ।।
ज्ञानी जब अभिमान में,करते रहते रार ।
बुद्धि चक्षु को खोलता,सकल जगत का सार।।
निराकार शिव जानिये,शंकर हैं साकार।
बुद्धि ज्ञान के भेद से, तत्व लिए आकार ।।
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©anita_sudhir
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-04-2020) को "रोटियों से बस्तियाँ आबाद हैं" (चर्चा अंक-3686) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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कोरोना को घर में लॉकडाउन होकर ही हराया जा सकता है इसलिए आप सब लोग अपने और अपनों के लिए घर में ही रहें। आशा की जाती है कि अगले सप्ताह से कोरोना मुक्त जिलों में लॉकडाउन खत्म हो सकता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जी हार्दिक आभार आ0
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