Sunday, October 15, 2023

माँ शैलपुत्री की आराधना



पुष्पांजलि

शारदीय नवरात्र का,आज हुआ आरम्भ फिर।
जगजननी करिये कृपा,तभी मिटे उर दम्भ फिर।।

शक्ति रूप की साधना,शुभ फलदायक जानिए ।
दुर्गा नौ अवतार को,उन्नति का पथ मानिए।।

योग साधना चक्र की,मन हो मूलाधार में।
शंकर की अर्धांगिनी ,चेतन के संचार में।।

शैल पुत्री के रूप को,प्रथम दिवस में पूजते।
घटस्थापना देख के,मन मंदिर फिर गूँजते।।

पर्वत की बेटी धरे,अर्ध चंद्र को शीश पर।
कमल पुष्प त्रिशूल लिए,आओ नंदी बैल पर।।

कुमकुम चावल पुष्प से ,करें मातु आराधना।
पापनाशिनी पाप हर,भवबंधन से तारना ।।

अनिता सुधीर आख्या

2 comments:

  1. बहुत सुंदर एवं भावभीनी आराधना प्रस्तुत की है आपने। अभिनन्दन एवं नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।

    ReplyDelete

संसद

मैं संसद हूँ... "सत्यमेव जयते" धारण कर,लोकतंत्र की पूजाघर मैं.. संविधान की रक्षा करती,उन्नत भारत की दिनकर मैं.. ईंटो की मात्र इमार...